आमेर में हुई गैंगवार में हत्या का मामला, 3 साल बाद जेल में बंद दो आरोपी हुए बरी
जयपुर। आमेर थाना इलाके में 1० जुलाई, 2०15 की रात गैंगवार में हुई 25 वर्षीय दीपक सिंह की हत्या के मामले में करीब 3 साल से जेल में बंद आरोपी विनोद सोनी उर्फ नोनी (3०) एवं सोनू इसरानी (36) निवासीयान नारदपुरा-आमेर को बम ब्लास्ट मामलों की स्पेशल कोर्ट ने सन्देह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। पुलिस अनुसंधान में मृतक के दीपक गुर्जर गैंग से जुड़े होने का पता चला था।

दीपक गुर्जर गैंग ने प्रतिद्बन्दी गैंग के सरगना अर्जुन सक्सैना पर कंवर नगर-सुभाष चौक में गोली चला कर जानलेवा हमला किया था। जिसमें पुलिस ने दीपक गुर्जर और दीपक सिंह सहित अन्य को गिरफ्तार किया था। दोनों गिरोह में रंजिश के दौरान 11 जुलाई, 2०15 को सरायबावड़ी-आमेर में दीपक सिंह का रक्तरंजित शव पड़ा मिला। आमेर पुलिस ने बिना कोई अनुसंधान किए सुनी-सुनाई बातों के आधार पर हत्या के अपराध में दोनों आरोपियों को 11 जुलाई, 2०15 को ही गिरफ्तार कर चालान पेश किया। मुख्य आरोपी माने गए अर्जुन सक्सैना के खिलाफ पुलिस की आज भी सीआरपीसी की धारा 173/8 में जांच लम्बित है। आरोपियों की ओर से एडवोकेट ए० के० जैन ने पैरवी करते हुए कोर्ट को बताया कि घटना का एक भी प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है।

आरोपियों के कपड़ों पर कौनसे ग्रुप का ब्लड था एवं डीएनए जांच भी नहीं करवाई गई। अपराध की कडिèयां जुड़ती नहीं है। बरामदगी खुले स्थान पर की गई है। कथित घटना स्थल के पडौसियों को गवाह ही नहीं बनाया गया। अर्जुन सक्सैना की दीपक सिंह से रंजिश की कोई पुख्ता साक्ष्य भी नहीं है। जब्त की गई चेन-अंगूठी की कोई शिनाख्तगी नहीं करवाई गई। आरोपियों के पास से जब्त किए गए मिर्चूमल, सुनीता एवं गण्ोश के नाम के मोबाईल फोन उनके पास कैसे आए थ्ो, जांच ही नहीं की गई। जूनियर एडवोकेट शहाबुद्दीन एवं शंकर लाल गुर्जर ने कोर्ट को बताया कि परिस्थिति साक्ष्य भी पूर्ण होनी चाहिए। कहा स्वतंत्र गवाह अभियोजन की कहानी को पुष्ट नहीं करते है तो पुलिस की साक्ष्य पर भरोसा नहीं किया जा सकता। हिरासत में लेकर थाने में अपराध की स्वीकारोक्ति कराई जाती है तो, उसे आरोपियों के विरुद्ध नहीं पढ़ी जा सकती। सीडी के संबंध में 65बी का प्रमाण पत्र भी पेश नहीं किया गया, जो जरूरी था। मामले में हाईकोर्ट ने अर्जुन सक्सेना की गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी थी।

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