दुनिया के हर देश में ओमीक्रॉन का कहर बरप रहा है। भारत और राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। यह वायरस तेजी से संक्रमित कर रहा है। यह अलग बात है कि पहली और दूसरी लहर की तरह इस बार अस्पतालों में मरीज भर्ती नहीं है और ना ही गंभीर स्थिति में है। लेकिन लोग तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। साथ ही मौतें भी। भले ही कम हो, लेकिन मौतों का सिलसिला जारी है। सोमवार को पांच मरीजों की मौतें राजस्थान में दर्ज हुई, जिसमें से तीन जयपुर की थी। यह रोज मौतें का आंकड़े आ रहे है। साथ ही रोज के केस भी हजारों में ही आ रहे हैं। राजस्थान में सोमवार को नौ हजार दो सौ से अधिक केस दर्ज हुए। यही आंकड़ा मंगलवार बढ़कर  नौ हजार सात सौ ग्यारह तक पहुंच गया। वहीं मंगलवार को कोरोना मरीजों की नौ मौतें सामने आई है। जयपुर व जोधपुर में दो-दो मरीजों की मृत्यु हुई। इससे साफ है कि ओमीक्रॉन भले ही कम घातक है, लेकिन इससे मौतें सामने आ रही है। वो भी रोजाना। ऐसे में विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि ओमीक्रॉन को हल्के में ना लिया जाए। क्योंकि इसकी चपेट में आने के बाद रिकवर हुए लोगों के शरीर पर क्या असर करेगा, यह भविष्य के गर्त में है। भले ही अभी संक्रमित व्यक्ति में गंभीर लक्षण नहीं आ रहे हैं। खांसी, जुकाम व बुखार जैसे लक्षण ही दिख रहे हैं, लेकिन आगे चलकर यह वेरियंट क्या गुल खिलाएगा, यह अभी तक रिसर्च में सामने नहीं आया है। चिकित्सक भी लगातार कह रहे हैं कि ओमीक्रॉन को हल्के में ना लिया जाए। ओमीक्रॉन से संक्रमित लोगों को काफी दिक्कतें भविष्य में आ सकती है। खासकर बच्चों को। सभी बच्चों को अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है। यहीं वजह है कि बच्चे भी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। जिनके दो-दो डोज लग चुकी है, वे भी ओमीक्रॉन से संक्रमित हो चुके हैं। जो ओमीक्रॉन को हल्के में ले रहे हैं, वे खुद को और अपने परिवार को खतरे में डाल रहे हैं। ओमीक्रॉन पर नामी गिरामी कंपनियों की एंटीबॉडी दवाएं भी असर नहीं कर रही है यानि कि ओमिकॉन पर इनइफेक्टिव हैं। विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि ओमीक्रॉन जितना फैलेगा, उतने इसके नए वैरिएंट सामने आएंगे। यह कोरोना वायरस का पांचवां  खतरनाक वैरिएंट बताया जा रहा है। ज्यादा इन्फेक्शन रेट का मतलब वायरस ज्यादा म्यूटेट होगा और नए वैरिएंट पैदा होंगे। यह किसी को भी पता नहीं है कि आने वाला नया वैरिएंट कितना घातक हो सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि यह एकदम से इतना फैल सकता है कि अस्पतालों में जगह तक नहीं मिले। अभी यह वायरस दुनिया के हर देश में पीक में चल रहा है। अमरीका व यूरोप में तो लाखों लोग इस संक्रमित हो रहे हैं। अभी डेल्टा वैरिएंट की तरह ओमीक्रॉन से पीडित व्यक्ति को सांस लेने में समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है, लेकिन बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों के संक्रमित होने पर यह जानलेवा भी साबित हो रहा है। अधिकांश मौतें भी ऐसे ही गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों की हुई है या जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगाई थी, उनकी मौतें सामने आई है। ऐसे में ओमीक्रॉन को हल्के में ना लिया जाए। संक्रमित होने पर पूरा ईलाज लिया जाए। कोविड नियमों की पालना की जाए। ओमीक्रॉन भविष्य में क्या गुल खिलाएगा, यह किसी को पता नहीं है।

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