नई दिल्ली। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने मलेरिया से रोगी के मौत मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि मच्छर के काटने से हुई बीमारी और मौत पर भी एक्सीडेंटल क्लेम का लाभ मिलना चाहिए। कोलकाता की मौसमी भट्टाचार्जी के मामले की सुनवाई करते हुए आयोग ने कहा कि मच्छर के काटने से हुई बीमारी और मौत को भी इन्श्योरेंस में कवर करना चाहिए। मौसमी के पति देवाशीष की मलेरिया से मौत हो गई थी। जस्टिस वीके जैन ने कहा कि यह मानना कठिन है कि मच्छर के काटने से होने वाली मौत एक्सीडेंट नहीं है। लोगों को यह उम्मीद नहीं होती कि उन्हें मच्छर काटेगा और मलेरिया हो जाएगा। इंश्योरेंस कंपनियों की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, सांप का काटना, कुत्ते का काटना और ठंड से मौत को भी एक्सीडेंट माना जाएगा। मौसमी के पति देवाशीष की 2012 में मलेरिया से मौत हो गई थी। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फ ोरम और पश्चिम बंगाल कंज्यूमर कमीशन से पक्ष में फैसला होने के बाद भी इंश्योरेंस कंपनी ने मौसमी को क्लेम नहीं दिया। इंश्योरेंस कंपनी ने मामला नेशनल कंज्यूमर कमीशन में दायर कर दिया। दरअसल देवाशीष ने बैंक ऑफ बड़ौदा से होम लोन लिया और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी ली थी। बीमा की रकम के लिए मौसमी ने क्लेम किया। जब वे अपना होम लोन खत्म करवाने इंश्योरेंस कंपनी के पास पहुंचीं, तब उनका क्लेम खारिज कर दिया गया। कंपनी की ओर से कहा कि देवाशीष की मौत मच्छर काटने से हुई है, ना कि दुर्घटना से। कंज्यूमर फोरम ने कंपनी की बात को नहीं माना और मौसमी के पक्ष में फैसला दिया।

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