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नयी दिल्ली। केन्द्रीय जांच ब्यूरो के क्षमा याचना करने के बाद भी उच्चतम न्यायालय ने उडीसा उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के निवास पर छापा मारने के प्रयास के दौरान उनके साथ ब्यूरो के आचरण की आज आलोचना की। जांच ब्यूरो ने न्यायालय को बताया कि इस ‘चूक’ के लिये उसने उडीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित न्यायाधीश से क्षमा याचना कर ली है और दोनों ने ही इसे स्वीकार कर लिया है। इसके बाद भी, शीर्ष अदालत ने जांच एजेन्सी के प्रति तल्ख टिप्पणियां कीं।

न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा, ‘‘परेशानी सिर्फ पीठासीन न्यायाधीश के साथ उसके आचरण को लेकर है। इस तरह की गलती की सीबीआई जैसी एजेन्सी से अपेक्षा नहीं की जाती है।’’ इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही जांच ब्यूरो की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एजेन्सी ने उडीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित न्यायाधीश से मुलाकात का समय लिया था और उनसे इस घटना के लिये क्षमा याचना कर ली थी। मेहता ने कहा, ‘‘यह गलती थी और दोनों न्यायाधीशों ने क्षमा याचना स्वीकार कर ली थी।’’ उन्होंने कहा कि इस मामले को अब गरिमामय तरीके से खत्म कर दिया जाना चाहिए क्योंकि जांच एजेन्सी के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुख्य न्यायाधीश को उन परिस्थितियों से अवगत कराया जिनमें यह घटना हुयी।

यह मामला उस समय उठा जब जांच एजेन्सी ने कटक में 19-20 सितंबर की रात में पीठासीन न्यायाधीश के आधिकारिक आवास पर कथित रूप से छापा मारने का प्रयास किया था। जांच ब्यूरो के अधिकारियों का दल उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश के घर की तलाश में आया था। पीठासीन न्यायाधीश इस पूर्व न्यायाधीश के आवास में रहने आये थे। मेहता ने कहा कि जांच दल न्यायाधीश के घर में नहीं गया था और जांच एजेन्सी के पुलिस अधीक्षक ने संबंधित न्यायाधीश से मुलाकात करके उन्हें हुयी असुविधा के लिये खेद व्यक्त किया था।

पीठ ने मेहता से जानना चाहा कि मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश ने कैसे जांच एजेन्सी की क्षमा याचना को स्वीकार कर लिया। पीठ ने कहा, ‘‘आपने अपनी स्थिति से अवगत करा दिया, यह एक बात हुयी। क्या उन्होंने इसे स्वीकार किया या नहीं। क्षमा याचना की स्वीकरोक्ति कहां है?’’ इस पर मेहता ने कहा कि इसकी पुष्टि करायी जा सकती है ओर वह इस संबंध में पूर्ण विवरण के साथ हलफनामा दाखिल कर देंगे।

पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि छापा मारने गये जांच अधिकारियों को आगे बढने से पहले न्यायाधीश के आवास पर लगी नाम पट्टिका देखनी चाहिए थी। जब प्रतिवादियों की ओर से एक वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत को इस संस्थान का संरक्षण करना चाहिए तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हम पूरी न्यायपालिका के लिये चिंतित हैं। पीठ ने उच्च न्यायालय का प्रतिनिधत्व कर रहे वकील से इस तथ्य की पुष्टि करने के लिये कहा कि क्या मुख्य न्यायाधीश और संबंधित न्यायाधीश ने जांच एजेन्सी की क्षमा याचना को स्वीकार कर लिया है।

मेहता ने यह भी कहा कि न्यायाधीश के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मी द्वारा जांच एजेन्सी के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज करायी गयी प्राथमिकी निरसत की जानी चाहिए। इस पर न्यायालय ने कहा कि इस पहलू पर बाद में विचार किया जायेगा। न्यायालय ने जांच एजेन्सी को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुये इस मामले की सुनवाई पांच जनवरी के लिये स्थगित कर दी। उच्च न्यायालय ने इस मामले की न्यायिक जांच के लिये बार एसोसिएशन की याचिका पर सीबीआई और राज्य पुलिस को नोटिस जारी किये थे।

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