दिल्ली. 2013 में भारतीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों को उनके पहले चुनाव के लिए समान चुनाव चिन्ह दिए जाएँ. इसी न्यासंगत नियम का फायदा उठाने वाली पहली पार्टी बनी आम आदमी पार्टी, जिसे पहले चुनाव के लिए एक समान चुनाव चिन्ह दिया गया. अधिसूचना के बाद अन्य प्रदेशों के चुनाव आयोग ने भी इसी तर्ज़ पर नियम बनाए. लेकिन जब दिल्ली चुनाव आयोग ने प्रस्ताव किया कि पहली बार लड़ने वाली पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों को कॉमन सिम्बल दिया जाए तो दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया. मार्च 2015 में दिल्ली चुनाव आयोग के कमिश्नर राकेश मेहता ने चिट्ठी लिखकर दिल्ली सरकार को एक न्यायसंगत नियम बनाने का प्रस्ताव किया. लेकिन अफ़सोस कि दो साल बीत जाने के बाद भी आयोग के इस अतिमहत्वपूर्ण चिट्ठी का कोई जवाब नहीं दिया है. दिल्ली सरकार दो साल से आयोग के इस प्रस्ताव पर बैठी रही जिसके कारण वर्तमान में चल रहे नियमों का हवाला देकर चुनाव आयोग ने स्वराज इंडिया के कॉमन सिम्बल के निवेदन को ठुकरा दिया. आज दिल्ली हाई कोर्ट ने भी स्वराज इंडिया की याचिका खारिज कर दी. पार्टी का कहना है कि फैसले के ख़िलाफ़ कल अदालत में अपील करेंगे. जनता के बीच जायेंगे और अपने चुनावी अभियान को जोर शोर से चलाएंगे. स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने कहा, “जब हमने एमसीडी चुनाव अभियान की शुरुआत की थी तो हमें पता था कि हमारे पास पैसे नहीं है, साधन नहीं है, सरकार नहीं है. आज हमें पता चल गया कि हमारे पास सिम्बल भी नहीं है. कोई बात नहीं. हम दिल्लीवासियों की उम्मीद और अपने कार्यकर्ताओं के संघर्ष के सहारे चुनाव लड़ेंगे. हमारे चुनाव अभियान में खूब जनसमर्थन और जनसहयोग मिल रहा है. हमें पूर्ण विश्वास है कि “साफ़ दिल साफ़ दिल्ली” के अपने वचन को हम इमानदारी से पूरा करेंगे. प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के जानेमाने वकील प्रशांत भूषण ने कहा, दिल्ली सरकार की बेईमानी के बावजूद चुनाव आयोग इसमें सुधार कर सकता था, लेकिन आयोग ने वो भी नहीं किया. चुनाव अभियान को हम पूरी ऊर्जा के साथ जारी रखेंगे और इस फैसले के ख़िलाफ़ अपील करेंगे. स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने कहा, “दिल्ली चुनाव आयोग के इलेक्शन सिम्बल से सम्बंधित नियम बदलने के निवेदन को दिल्ली सरकार ने दो साल से सिर्फ़ इसलिए लटकाकर रखा ताकि स्वराज इंडिया को नुकसान हो. जिस आम आदमी पार्टी को पंजीकृत पार्टियों के लिए कॉमन इलेक्शन सिम्बल का सबसे पहले फायदा मिला था, वही पार्टी जब सरकार में आई तो किस कदर अलोकतांत्रिक हो गई ये बड़े शर्म कि बात है. लेकिन इन तिकड़मों और टुच्चेपंथी से हम घबराने वाले नहीं! क्यूंकि ये लड़ाई सिर्फ़ एक दिन कि नहीं है. लड़ाई लम्बी है. और जीत हमारी है. कल इस फैसले के ख़िलाफ़ हम कोर्ट में अपील करेंगे.आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने जान बूझकर स्वराज इंडिया के चुनावी रास्ते में अड़चन पैदा करने की कोशिश की. चुनावों में लड़ने कि बजाये घबराई हुई पार्टी ओछी हरकतें कर रही हैं. दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी के ऐसे तिकड़मों से अच्छे से वाकिफ हो चुकी है और आगामी एमसीडी चुनावों में जवाब देने को तैयार है.

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