नई दिल्ली। ब्रिटिश संसद के सांसदों ने एक प्रस्ताव पास करते हुए भारत के उस दावे पर अपनी मुहर लगा दी। जिसके तहत भारत अब तक कहता आया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान ने अवैध रुप से कब्जा कर रखा है। ब्रिटिश संसद में इस इस सकारात्मक पहल के भागीदार बने कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन। जिन्होंने संसद में गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव को संसद में सांसदों ने अपनी सहमति देकर पारित करा दिया। प्रस्ताव में यह स्पष्ट रुप से उल्लेख किया गया कि गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान का कभी हिस्सा रहा ही नहीं। वह इस क्षेत्र को जबरन पांचवां प्रांत घोषित करने की कारगुजारी कर रहा है। जिस पर उसका कोई दावा नहीं है। यह इलाका संवैधानिक और कानूनी रुप से जम्मू-कश्मीर का हिस्सा रहा है। जिस पर पाकिस्तान ने वर्ष 1947 से ही गैर कानूनी रुप से कब्जा कर रखा है। यहां के लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी देना तो दूर मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है। सांसद ने इस प्रस्ताव में पाकिस्तान-चीन के सहयोग से 51.5 बिलियन डॉलर की राशि से बन रहे आर्थिक गलियारे की कड़ी आलोचना की। इस इलाके में जनसंख्या वितरण में किसी भी तरह का बदलाव का कदम उठाना तनाव भड़काने के समान होगा। प्रस्ताव के स्वीकृत होने की स्थिति को देखते हुए चीन ने अपना पैतरा बदला। चीनी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा कि चीन में सीपीईसी से वहां के स्थानीय बाशिंदों को मिलने वाले फायदे पर पाकिस्तान से बात कर आगे बढ़ाने को पूरी तरह से तैयार है। गौरतलब है कि 1947 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के साथ ही जो बंटवारा हुआ, उसी समय से भारत गिलगित-बाल्टिस्तान को ऐतिहासिक व भौगोलिक पृष्ठभूमि के आधारों पर अपना बताया आया है। उस दरम्यान ब्रिटिश राज्य की सीमाओं के अनुसार ही भारत-पाक विभाजन की शर्ते तय की गई। इस स्थिति में ब्रिटिश संसद का यह प्रस्ताव भारत के पक्ष को बेहद मजबूत करने के साथ ही सकारात्मक रुप में उभरकर सामने आया है।

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