– कुसुम योजना में 21 करोड़ रुपये की अधिक दर पर कार्यादेश देने के मामले में जांच कमेटी ने राज्य सरकार को सौंपी रिपोर्ट, जांच रिपोर्ट में माना अफसरों ने शर्तें बदलकर वित्तीय अनियमितता की। फर्में भी डिफाल्टर रही। इससे सरकारी कोष को बड़ा नुकसान पहुंचा। रिपोर्ट में अधिकारियों व फर्मों से रिकवरी करने और कार्यवाही करने की सिफारिश की।
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (अजमेर डिस्कॉम) में कुसुम योजना के तहत 21 करोड़ रुपये की अधिक दर पर सोलर प्लांट ख्ररीद मामले के बहुचर्चित मामले की जांच के लिए गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सुपुदु कर दी है। जांच कमेटी ने माना है कि सोलर प्लांट खरीद मामले की निविदा और खरीद में बड़ी वित्तीय अनियमितताएं बरती गई है। इसके लिए अजमेर डिस्कॉम के आला अधिकारियों की भूमिका पदीय कर्तव्यों के विपरीत रही है। मामले में फर्मों का कार्य भी ठीक नहीं रहा है। निविदा शर्तों के विपरीत फर्मों ने सोलर प्लांट व अन्य उपकरणों की आपूर्ति की है, जिसके चलते काफी जगहों पर सोलर प्लांट व उपकरण कुछ ही दिनों में खराब हो गए। यहीं नहीं सर्विस सेंटर भी नहीं होने से इन्हें ठीक करवाने में भी परेशानी हो रही है। बताया जाता है कि गुजरात की चहेती फर्म को उपकृत करने के लिए अजमेर डिस्कॉम के एमडी विजय सिंह भाटी व अन्य आला अधिकारियों ने निविदा शर्तों और तय खरीद राशि के विपरीत जाकर शर्तों में फेरबदल किया। इससे सरकारी कोष को करीब 21 करोड़ रुपये की चपत लगी। यह मामला मीडिया की सुर्खियों में भी रहा। सत्ता और विपक्ष के नेताओं ने भी  अजमेर डिस्कॉम प्रबंधन की भ्रष्ट कार्यशैली को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। 21 करोड़ रुपये का यह मामला अधिक तूल पकडऩे पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा) डॉ.सुबोध अग्रवाल ने एक जांच कमेटी बनाई। राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के सचिव महेन्द्र प्रताप सिंह और जयपुर विद्युत वितरण निगम के टेक्निकल डायरेक्टर के.पी.वर्मा के नेतृत्व में जांच कमेटी ने अजमेर डिस्कॉम कार्यालय व अन्य जगहों पर जाकर सोलर प्लांट खरीद से जुड़े दस्तावेज, निविदा व खरीद शर्तों की जांच पडताल की। मामले से जुड़े अधिकारियों व अभियंताओं के बयान लिए गए। जांच के बाद कमेटी ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा) डॉ.सुबोध अग्रवाल को रिपोर्ट सुपुर्द कर दी।
– जांच रिपोर्ट से अजमेर डिस्कॉम में खलबली
जांच कमेटी की रिपोर्ट से अजमेर डिस्कॉम में खलबली मची हुई है। कमेटी ने आला अधिकारियों व फर्मों को दोषी मानते हुए रिकवरी व कार्यवाही की सिफारिश की है। रिपोर्ट पर सरकार को एक्शन लेना है। बताया जाता है कि जल्द ही रिपोर्ट पर सरकार कार्यवाही करेगी, जिसमें कई अफसर नप सकते हैं। उधर, इस जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों व फर्मों पर एसीबी और लोकायुक्त में भी मामला दर्ज करवाए जाने और भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट भिजवाकर विजीलैंस जांच करवाए जाने की चर्चा है। एक के बाद एक अजमेर डिस्कॉम में हो रहे घोटाले विधानसभा में उठेंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक इन घोटालों के बारे में अवगत कराया जाएगा।
– जांच कमेटी ने यह माना है रिपोर्ट में…
– सोलर प्लांट खरीद में वित्तीय अनियमितता हुई है। खरीद नियमों की पालना नहीं हुई है। नियमों को दरकिनार करके अधिक दरों पर फर्मों को कार्यादेश दिया गया है। जो नियमानुसार उचित नहीं है।
– सोलर प्लांट खरीद कार्य में शामिल कंपनियां व फर्म भी डिफाल्टर रही है। इन्होंने भी तय शर्तों के मुताबिक कार्य नहीं किए है और ना ही शर्तों के तहत उपकरण आपूर्ति की। उपकरणों की क्वालिटी भी ठीक नहीं है।
– जांच कमेटी ने निविदा व खरीद शर्तों के उल्लंघन करके अधिक दरों पर कार्यादेश देने के मामले में अजमेर डिस्कॉम के अधिकारियों को दोषी माना है। कमेटी ने दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही और रिकवरी किए जाने की सिफारिश की है।
– उक्त मामले में डिफाल्टर रही कंपनियों व फर्मों से भी रिकवरी करने और इन पर कार्यवाही किए जाने की सिफारिश की है।
– जांच में कंपनियों व फर्मों के पास ठेकेदारी का ए क्लास प्रमाण पत्र नहीं मिला है और ना ही अनुबंध से पहले जमा कराया है। इससे अनुभवहीन कंपनियों व फर्मों को ठेका देने की बात सामने आ रही है।
– इनका कहना है
हमने जांच रिपोर्ट देना को कहा था। तय समय में हमने जांच रिपोर्ट सुपुर्द कर दी है। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता।
के.पी.वर्मा टेक्निकल डायरेक्टर
जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड।
– एमडी विजय सिंह भाटी ने जवाब नहीं दिया
इस मामले को लेकर अजमेर डिस्कॉम एमडी विजय सिंह भाटी के मोबाइल पर फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। उक्त मामला का हवाला देते हुए उन्हें मैसेज व वाट्सऐप किया गया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया।

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