जयपुर। तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा 2021-22 की  अनुपालना में सोसायटी मोड पर चल रहे सरकारी अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को विश्वविद्यालयों का संघठक महाविद्यालय बनाने के सम्बन्ध में बुधवार को सम्बन्धित महाविद्यालयों की बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में सहमति प्रदान की गई। इन महाविद्यालयों को राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय, बीकानेर से जोड़ा जाएगा। बांसवाड़ा महाविद्यालय को गोविन्द गुरु जनजाति विश्वविद्यालय बांसवाड़ा से जोड़ा जाएगा इसी प्रकार बाड़मेर महाविद्यालय को प्रस्तावित एम बी एम  विश्वविद्यालय से जोड़ा जाएगा।
तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने प्रोफेसर आर.ए. गुप्ता कुलपति, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा, प्रोफेसर अम्बरिष शरण विद्यार्थी, कुलपति, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय, बीकानेर,  आई.आई. एस.सी. बैंग्लोर के प्रोफेसर एन.सी. शिवप्रकाश, प्रोफेसर संदीप संचेती, कुलपति, मारवाड़ी विश्वविद्यालय, राजकोट, डॉ. गुणवंत शर्मा एम.एन.आई.टी., जयपुर, हेमन्त बोहरा, सी.एम.डी. बोहरा इंडस्ट्रीज , प्रोफेसर एम. पी. पूनिया वाईस चेयरमैन ऑल इंडिया कौंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन(एआईसीटीई), प्रोफेसर डी.एस. हुडा, प्रोफेसर गुरू जम्भेश्वर, विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, हिसार, प्रोफेसर आर.एस.राठौड, डीन हरियाणा विश्वकर्मा स्किल विश्वविद्यालय, गुड़गॉव, प्रोफेसर उपेन्द्र पन्डेल एम.एन.आई.टी., जयपुर और महेन्द्र चौधरी,एम.एन.आई.टी., जयपुर की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग के माध्यम से महाविद्यालय सोसायटी की बीओजी  (बोर्ड ऑफ गवर्नर्स) की आयोजित बैठक में इन महाविद्यालयों को संघठक महाविद्यालय बनाये जाने का अनुमोदन किया गया।
बैठक में उपस्थित उक्त तकनीकी शिक्षा से जुड़े विद्वजनों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग द्वारा इन अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के सन्दर्भ में किए गए निर्णय की प्रशंसा की और प्रसन्नता भी व्यक्त की।
विद्वजनों ने कहा कि इस निर्णय से इन अभियांत्रिकी महाविद्यालयों की फेकल्टी की विशेषज्ञता तथा प्रयोगशालाओं का उपयोग विश्वविद्यालयों द्वारा अनुसंधान के क्षेत्र में किया जा सकेगा।
तकनीकी शिक्षा सचिव एन. एल.मीना ने कहा कि बीओजी द्वारा इन सभी महाविद्यालयों को संघठक बनाए जाने के पश्चात महाविद्यालयों की सम्पत्ति, संसाधन एव दायित्व सम्बन्धित विश्वविद्यालय के होंगे।

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