जयपुर। 14 फरवरी का दिन अर्थात वेलेेंटाइन डे के नजदीक आने के साथ ही युवाओं का दिल अपने किसी खास से मिलने को लेकर बेकरार होता है। युवा अपने प्रेमी के प्रति भावनाओं का इजहार करने के लिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। यही वजह है कि अपने चाहने वाले को संत वैलेंटाइन के नाम पर गिफ्टस, फ्लावर्स देते ही हैं। प्रेमी युगल के लिए यह दिन एक उत्सव की तरह ही होता है। जब खास तौर पर अपने प्रिय को प्रेम की अभिव्यक्त किया जाता है। प्रेमी युगल अपने चाहने वाले को प्रपोज करने उसके समक्ष दिल खोलकर बिना किसी भय अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करने मन की बात कहने के लिए इस दिन को क्यों चुनते हैं। इसके पीछे एक इतिहास छिपा है। वेलेेंटाइन डे की शुरुआत अमेरिका में संत वेलेटाइन की याद हुई। इसकी शुरुआत सर्वप्रथम अमेरिका में फिर इंग्लैण्ड और इसके बाद तो धीरे-धीरे यह दिन समूचे विश्व में मनाया जाने लगा। अलग-अलग देशों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। फिर भी भारत में वेलेेंटाइन डे की शुरुआत 1992 से हुई। वेलेंटाइन डे मूल रुप से संत वेलेंटाइन की याद में मनाया जाता है। 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की। उनके सम्मान में 14 फरवरी को पर्व मनाए जाने की घोषणा की गई। इनमें सबसे प्रमुख रोम के सेंट वेलेंटाइन को माना गया। रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था। उसका मत था कि विवाह करने से पुरुषों की शक्ति व बुद्धि कम हो जाती है। ऐसे में उसने एक फरमान जारी करा दिया कि कोई भी सैनिक व अधिकारी विवाह नहीं करेगा। लेकिन संत वेलेंटाइन ने उनके उसके इस आदेश का विरोध किया और विवाह कर लिया। उनकी इस पहल को बल मिला और अन्य सैनिकों व अधिकारियों ने भी विवाह कर लिए। इस बात से गुस्साए सम्राट क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़ा दिया। संत वेलेंटाइन ने अपने निस्वार्थ भाव और त्याग के बल पर दुनिया का दिल जीत लिया। ऐसे में उनकी याद में हर वर्ष 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे मनाया जाने लगा। वेलेंटाइन डे एक सप्ताह तक मनाया जाना वाला पर्व है। जिसकी शुरुआत 7 फरवरी से होती है और अलग-अलग दिन अलग नाम से मनाया जाता है।

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