Bacteria found from the Kakamma desert, capable of treating HIV

जयपुर। वैक्सीन एक बाॅयोलाॅजिकल वंडर है, जिसने असंख्य लोगों की जान बचाई है। हालांकि उचित तापमान एवं रोषनी जैसे तत्वों का ध्यान नहीं रखने पर यह वंडर अप्रभावी अथवा विषाक्त हो सकता है। अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंचने तक उपयुक्त सामग्री, समय, मात्रा, स्थान एवं लागत को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन्स की गुणवत्ता को बनाये रखा जा सकता है। आज यह जानकारी आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के एकेडमिक्स एवं स्टूडेंट अफेयर्स के एडवाइजर, ब्रिगेडियर (डॉ.) एस. के. पुरी ने दी। वे आज आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में ‘लाॅजिस्टिक मैनेजमेंट आॅफ वैक्सीन्स विद स्पेषल फोकस आॅन स्ट्रेंथनिंग कोल्ड चेन‘ विषय पर आयोजित ‘मैनेजमेंट डवलपमेंट प्रोग्राम (एम.डी.पी.) में सम्बोधित कर रहे थे।

इस मैनेजमेंट डवलपमेंट प्रोग्राम में भारत, अफ्रीका, भूटान व अन्य देषों के 30 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। वैक्सीन्स की सप्लाई चेन के प्रभावी प्रबंधन के उपकरणों एवं तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान करने के उद्देष्य से यह प्रोग्राम आयोजित किया गया। इसके साथ ही वैक्सीन्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोल्ड चेन प्रबंधन पर भी फोकस किया गया।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट, डाॅ. पी. आर. सोढानी ने की। इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक, डॉ. सौरभ कुमार बनर्जी भी उपस्थित थे। डाॅ. सोढानी ने कहा कि उत्पादन, खरीद एवं वितरण जैसे विभिन्न स्तरों पर वैक्सीन की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। बढ़ते हुए तापमान को देखते हुए सप्लाई चेन के तहत कोल्ड चेन मैनेजमेंट अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है।

डॉ. बनर्जी ने कहा कि यदि वैक्सीन को उचित परिस्थितियों में संरक्षित नहीं किया जाए तो उसका असर समाप्त हो जाता है। विषेष रूप से राजस्थान जैसे अधिक गर्मी वाले स्थानों पर जब वैक्सीन्स को लाया जाता है तो सफर के दौरान उचित तापमान बनाए रखना चाहिए। इस सम्बंध में कोल्ड चेन मैनेजमेंट के माध्यम से इम्यूनाइजेषन सप्लाई चेन को मजबूत बनाने की आवष्यकता है।

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