नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के देश के नाम संबोधन में मित्रों शब्द का उपयोग नहीं करना सोश्यल मीडिया में छाया हुआ। मित्रों शब्द का संबोधन नहीं करने को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी प्रतिक्रियाएं सामने आई है। सोशल मीडिया पर यूजर्स कह रहे हैं कि पहले नोट छीने अब मित्र भी ले गए। वाट्सअप व टिवटर पर यूजर्स मित्रों ट्रेंड कर रहा है। इन दोनों ट्रेंड पर हजारों ट्वीट हो चुके हैं। प्रधानमंत्री ने भाषण के दौरान नोटबंदी के बाद हुई समस्याओं का सामना करने के लिए जनता का आभार जताया। मोदी ने कहा, देश की जनता ने संयम और धैर्य का परिचय दिया है। दुनिया में इस तरह की घटनाएं नहीं हुई हैं। कालेधन के चलते ईमानदार व्यक्ति घुटन महसूस कर रहा था। इसके चलते वह कदम उठाया गया। मोदी ने गरीबों, वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं और छोटे कारोबारियों के लिए कई स्कीमें लॉन्च की हैं। भाषण में रोचक बात यह रही कि उन्होंने भाषण के दौरान एक बार भी मित्रों शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जबकि यह शब्द अब उनका पर्याय बन चुका है। ट्विटर यूजर्स ने इस बदलाव को महसूस करते हुए खासी प्रतिक्रियाएं दी है। यूजर्स ने लिखा कि यह जानबूझकर की गई साजिश थी ताकि लोगों के जश्न खराब किया जा सके। मित्रों ट्रेंड पर 20 हजार से ज्यादा लोगों ने ट्वीट किए हैं। मित्रों शब्द ना बोले जाने पर कई लोगों ने निराशा भी जाहिर की। एक यूजर ने लिखा कि दोस्त-दोस्त ना रहा मित्रों। एक अन्य ने लिखा कि यदि प्रधानमंत्री मित्रों कहते हैं कि तो फि र नासमझी भरे फैसले का इंतजार कीजिए। वहीं यदि वे दोस्तों कहें तो ज्ञान देने का समय है।

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