Tribute program in memory of the bloody struggle that happened hundred years ago

देहरादून। उत्तराखंड के कटारपुर में कथित तौर पर 100 वर्ष पहले दो समुदायों के बीच हुए खूनी संघर्ष के बाद चार लोगों को फांसी सहित 135 लोगों को काले पानी की सजा सुनाई गई थी। इस घटना की याद में कल वहां ​एक विशाल श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमें राष्टीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी हिस्सा लेंगे ।हरिद्वार जिले में स्थित कटारपुर गांव में सितंबर, 1918 में हुई घटना के बाद ब्रिटिश ​प्रशासन ने आठ फरवरी, 1920 को कनखल के उदासीन अखाडा के महंत ब्रहमदास :45:, चौधरी जानकी दास: 60:, डा पूर्ण प्रसाद :32: तथा मुक्खासिंह चौहान :22: को फांसी पर लटका दिया था । प्रतिवर्ष इसकी याद में वहां ‘गौभक्त बलिदान दिवस’ मनाया जाता है ।’कटारपुर गौरक्षक बलिदान दिवस’ कार्यक्रम के संयोजक योगेश चौहान ने बताया, ‘इस घटना का शताब्दी वर्ष होने के कारण कटारपुर में वृहद स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है ​जिसमें वहां स्थित स्मारक को भव्य रूप देने की योजना भी है ।’ उन्होंने बताया कि कल होने वाले इस कार्यक्रम में सह सरकार्यवाह कृष्णगोपाल और मुख्यमंत्री रावत के अलावा पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण तथा जूना अखाडे के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद भी भाग लेंगे ।

इतिहासकार और शिक्षाविद देवेंद्र भसीन बताते हैं कि इस खूनी संघर्ष में दोनों समुदायों के कई लोग मारे गये और घायल हुए । घटना पर कार्रवाई करते हुए ब्रिटिश प्रशासन ने 172 लोगों को थाने में बंद कर दिया ।भसीन ने बताया कि महामना मदन मोहन मालवीय ने घटना के लिये आरोपित किये गये लोगों का मुकदमा लडा़ लेकिन चार लोगों को फांसी और 130 लोगों को कालापानी की सजा हुई ।उन्होंने बताया कि सभी वयस्कों के जेल चले जाने के कारण कटारपुर में बहनों ने रक्षाबंधन मनाना छोड दिया और आज भी वहां यह त्यौहार नहीं मनाया जाता ।

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