नई दिल्ली। अपने हक के लिए लड़ाई लड़ना कभी आसान नहीं होता। खासकर वह अगर एक महिला हो तो फिर मुश्किलें और भी बढ़ जाती है हमारे समाज में जितनी बंदिशे महिलाओं पर है उतनी पुरूषों पर नहीं है। ऐसा ही तीन तलाक वाले मामले में भी सामने आ रहा है। जहां सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया, वहीं इसके खिलाफ आवाज उठाने वाली याचिकाकर्ता की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बताया जा रहा है कि महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाने वाली इशरत जहां को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। इशरत ने सोचा था कि कोर्ट के फैसले के बाद उनकी मुश्किलें कम हो जाएंगी लेकिन वह ये नहीं जानती थीं कि इसके बाद उन्हें सामाजिक बहिष्कार को भी झेलना पड़ेगा। इशरत को रिश्तेदारों और पड़ोसियों की आलोचना झेलनी पड़ रही है।

पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली इशरत को उसके पति ने दुबई से फोन पर तलाक दे दिया था। इतना ही नहीं उसके पति ने चारों बच्चों को उससे छीन लिया। इसके बाद पति ने दूसरी शादी कर ली और उसे यूं ही बेसहारा छोड़ दिया। इशरत ने याचिका दायर कर तीन तलाक को असंवैधानिक और मुस्लिम महिलाओं के गौरवपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन बताया थाखबर के मुताबिक इशरत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मेरे ससुराल के लोग और पड़ोसी मेरे चरित्र को लेकर टिप्पणी करते हैं। लोग मुझे गंदी औरत कहने लगे हैं। यहां तक की कई पड़ोसियों ने तो मुझसे बात तक करना बंद कर दिया है।

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