जयपुर. रामगढ़ बांध पर कृत्रिम बारिश का रुका हुआ ट्रायल एक बाद फिर शुरू होगा। सिविल एविएशन निदेशालय ने 10 हजार फीट और इससे ऊपर तक ड्रोन उड़ाने की सशर्त मंजूरी दे दी है। अब तक केवल 400 फीट तक ड्रोन उड़ाने की परमिशन थी। नई मंजूरी 30 सितंबर तक के लिए दी गई है। अब जयपुर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से मंजूरी के बाद ट्रायल हो सकता है। हालांकि, मानसून सीजन में अब करीब 25 दिन ही बाकी हैं, इसलिए ट्रायल कर रही कंपनी की चुनौती बढ़ गई है। कंपनी 12 अगस्त को एक बार फेल अटेम्प्ट कर चुकी है। जयपुर के रामगढ़ डैम पर निजी कंपनी जेन एक्स एआई, अमेरिकी कंपनी एस्सल इंक. के साथ मिलकर कृत्रिम बारिश के प्रयोग कर रही है। इसी महीने 12 तारीख को हुए ट्रायल के बाद ज्यादा हाइट की परमिशन की बात उठी थी। सिविल एविएशन के नियमों में 10 हजार फीट की हाइट को रेड जोन माना जाता है। इस हाइट पर बिना अनुमति ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता। ​अमेरिकी कंपनी एस्सल ने 18 अगस्त को नागरिक उड्डयन मंत्रालय से परमिशन मांगी थी। अब मंत्रालय ने अपनी मंजूरी लेटर में इसका हवाला दिया है। रामगढ़ बांध पर कृत्रिम बारिश का पहला ट्रायल फेल हो गई था। 12 अगस्त को रामगढ़ बांध पर हजारों लोग जुट गए थे। कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की मौजूदगी में ट्रायल रखा गया था। लेकिन उस दिन कंपनी के पास 400 फीट से ज्यादा हाइट पर ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन 400 फीट तक बादल ही नहीं थे। इस वजह से कृ​त्रिम बारिश का ट्रायल फेल हो गया था। बादल आम तौर पर 2000 से 20 हजार फीट पर होते हैं। कृत्रिम बारिश के लिए नमी वाले बादलों का होना जरूरी होता है। 15 से 20 सितंबर के आसपास मानसून विदा हो जाता है, ऐसे में कृत्रिम बारिश के ट्रायल के लिए अब 20 से 25 दिन का वक्त बचा है। निजी कंपनी अब फिर से ट्रायल की तैयारी में लगी है। कृत्रिम बारिश के लिए नमी वाले बादलों का होना जरूरी है। नमी वाले बादलों पर सिल्वर आयोडाइज, सोडियम क्लोराइड, सॉलिड कार्बन डाईऑक्साइड में से कोई एक केमिकल का छिड़काव किया जाता है। जब ये केमिकल बादलों में मिलकर रिएक्शन करते हैं, तो उनमें मौजूद नमी बूंदों में बदलकर भारी होने लगती है और इससे बारिश होने लगती है। नमी वाले बादलों को केमिकल से सीड करके उन्हें बरसाना क्लाउड सीडिंग तकनीक के नाम से जाना जाता है। रामगढ़ बांध पर होने वाले ट्रायल में सोडियम क्लोराइड का प्रयोग होगा। अब तक प्लेन और यूएवी से ही क्लाउड सीडिंग होती रही है। प्लेन से होने वाले छिड़काव में कई क्विंटल केमिकल का प्रयोग होता है। इससे बड़े इलाके में बारिश करवाई जाती है। ड्रोन से पहली बार कृत्रिम बारिश के ट्रायल में सीमित दायरे में एआई कंट्रोल्ड बारिश करवाने पर ट्रायल है। रामगढ़ बांध के तय इलाके में ड्रोन से बादलों पर सोडियम क्लोराइड का छिड़काव किया जाएगा।

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