जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आरएसएस के प्रचार प्रमुख और संघ में नम्बर तीन की हैसियत रखने वाले मनमोहन वैद्य के आरक्षण व्यवस्था पर दिए गए बयान पर सियासी जंग तेज हो गई है। कांग्रेस, बसपा, राष्ट्रीय जनता दल समेत अन्य दलों ने वैद्य के बयान की भत्र्सना करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा और संघ संविधान प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था को खत्म करना चाहती है। वैद्य ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि अगर आरक्षण व्यवस्था हमेशा रही तो अलगाववाद बढ़ेगा। आरक्षण के बजाय वंचित वर्ग को अधिक अवसर दिए जाने पर जोर दिया था। यह बयान मीडिया में आते ही विपक्षी दलों ने भाजपा व संघ पर हमले तेज कर दिए। मजबूरन शुक्रवार रात को संघ की तरफ से बयान को गलत पेश करने की बात कही गई। हालांकि बयान पर मनमोहन वैद्य का वक्तव्य नहीं आया है। गौरतलब है कि बिहार चुनाव से पहले भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी ऐसा ही कुछ बयान दिया था, जिससे बिहार में सियासी जंग तेज हो गई थी और इसका खाामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा था। अब उत्तरप्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के पहले आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक के आरक्षण संबंधी बयान पर बवाल हो गया है। कांग्रेस ने इस बयान पर पीएम नरेंद्र मोदी से माफ ी की मांग की है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मनमोहन के बयान से एक बार फिर सामने आ गया है कि भाजपा और आरएसएस दलित विरोधी मानसिकता रखते हैं। इसका नतीजा उन्हें भुगतना होगा। बसपा प्रमुख मायावती ने भी बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर आरक्षण खत्म किया गया तो भाजपा-संघ राजनीति भूल जाएगी। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादवन ने भी कहा कि वैद्य के बयान से साफ हो गया है कि ये दलित और पिछड़े वर्ग विरोधी मानसिकता रखते हैं। बिहार की तरह इन्हें यूपी चुनाव में भी भाजपा को धूल चटा देंगे। सामजवादी पार्टी ने भी बयान पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस एक सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों की विचारधारा एक ही है। जनता मनमोहन के बयान पर अपना फैसला देगी। उधर, आज मनमोहन वैद्य ने अपने बयान पर सफ ाई देते हुए कहा, मैंने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था। मैंने कहा था, जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण रहेगा। धर्म के आधार पर आरक्षण से अलगाववाद बढ़ता है। संघ दलितों और पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण के पक्ष में है।

– यूपी चुनाव में खास अहमियत रखता है वैद्य का बयान

मनमोहन वैद्य के आरक्षण संबंधी बयान से यूपी चुनाव में गरमाहट हो गई है। यूपी के सभी दलों ने वैद्य के बयान को हाथों-हाथ लेते हुए भाजपा व संघ पर जमकर हमले शुरु कर दिए हैं। वैद्य का आरक्षण बयान यूपी की राजनीति में खासा महत्व रखता है। क्योंकि यूपी में चालीस फीसदी वोटर्स पिछड़े वर्ग और बीस फीसदी दलित वर्ग से आते हैं। इसी तरह पंजाब में तीस फीसदी वोटर दलित हैं। यूपी के गैर जाटव दस फ ीसदी दलित वोट बैंक पर भाजपा की मजबूत पकड़ बना रखी है। पिछड़े वर्ग (यादव समाज को छोड़कर)में भी पार्टी की अच्छी पकड़ है। मनमोहन के आरक्षण विरोधी बयान से दलित और ओबीसी वोटर्स में गलत मैसेज गया है। ऐसे में पार्टी को फिर से नई रणनीति बनानी पड़ेगी, साथ ही पार्टी और संघ को आरक्षण बयान पर सफाई देनी पड़ रही है।

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