जयपुर। राजधानी जयपुर में सांगानेर खुली जेल में मंथली लेकर बंदियों को हाजिरी माफी का खुला खेल चल रहा है। जो मंथली देता रहता है, उसकी सुबह शाम होने वाली हाजिरी से माफी होती है। हां उसकी हाजिरी रजिस्ट्रर में साइन जरुर होते रहते हैं रोज। वो रात में भी खुली जेल के बजाय कहीं भी घूम-फिर सकता है। खुली जेल में मंथली देने वाले बंदियों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी मुहर लगाई है। एसीबी ने मंथली लेकर बंदियों को सुविधा देने के मामले में हाल ही जेल प्रहरी कप्तान सिंह को गिरफ्तार किया था। इसी मामले में आरोपी कप्तान सिंह की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए एसीबी ने भ्रष्टाचार मामलात की कोर्ट के न्यायाधीश बलजीत सिंह के यहां बहस में बताया कि अनुसंधान में खुली जेल में उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार के सबूत मिले हैं। खुले जेल की हाजिरी रजिस्ट्रर जब्त किया है, जिसमें किसी भी बंदी की हाजिरी चढी हुई नहीं थी। 7 अक्टूबर को रंगे हाथ गिरफ्तार मुख्य जेल प्रहरी राजेन्द्र सिंह शेखावत फोन पर कह रहा है कि 60 हजार रुपए मंथली साहब को देनी है। वसूली में हरीश चन्द्र और कप्तान सिंह दोनों प्रहरी सहयोग कर रहे थे। किन साहब को मंथली देने की बात कही जा रही है, उस संबंध में एसीबी जांच कर रही है। इस मामले के परिवादी ने भी शिकायत में कहा था कि खुली जेल में करीब चार सौ कैदी है। इन 400 में से 200 व 250 कैदी ही हाजिरी के समय सुबह 6 बजे व शाम 7 बजे उपस्थित रहते थे। आरोपी जेल प्रहरी प्रत्येक बन्दी से 4 हजार रुपए महीना बंधी मांगते थे। एसीबी को शिकायत करने पर मामला सही पाया तो एसीबी के एएसपी नरोत्तम वर्मा ने ट्रेप कार्यवाही करके आरोपियों को धरा। हालांकि ट्रेप के दौरान कप्तान सिंह मौके से फरार हो गया था। एसीबी के तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने आरोपी कप्तान सिंह की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। गौरतलब है कि एसीबी ने एक दिसम्बर को मांगेलाल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत मांगी। गंभीर मामले में एसीबी द्वारा इंस्पेक्टर मांगेलाल को रिमाण्ड पर नहीं लिया जाना चर्चा में रहा। अन्य आरोपी राजेन्द्र सिंह व हरीश चन्द्र को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।

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