-बाल मुकुन्द ओझा
स्वास्थ्य विशेषज्ञ आजकल खानपान की बदलती प्रवृत्तियों को स्वास्थ्य के लिये खतरनाक बता रहे हैं। बदलती प्रवृत्तियों से हमारा मतलब है- सोने, जागने, उठने, बैठने और दिन और रात में ब्रेकफास्ट तथा भोजन करने का अनियमित समय। भागती-दौड़ती जिंदगी में लोगों के पास इतना वक्त नहीं रह गया है कि वे सेहतमंद भोजन कर सकें। देश और दुनिया में जंक या फ़ास्ट फ़ूड फूड का उपभोग दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है, जो भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। सभी आयु वर्ग के लोग जंक फूड खाना पसंद करते हैं और आमतौर पर, जब वे अपने परिवार के साथ कुछ विशेष समय, जैसे- जन्मदिन, शादी की सालगिरह, आदि का आनंद लेने के दौरान वे इन्हें ही चुनते हैं। वे बाजार में उपलब्ध जंक फूड की विभिन्न किस्मों जैसेय कोल्ड ड्रिंक, वेफर्स, चिप्स, नूडल्स, बर्गर, पिज्जा, फ्रेंच फ्राईस, चाइनीज खाना आदि का प्रयोग करते हैं। इन दिनों कम उम्र के युवा ऐसे रोगों का शिकार होने लगे हैं जो आमतौर पर बड़ी उम्र के लोगों को होते
हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का चलन भी बेहताशा बढ़ गया है। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स में चिप्स, नमकीन, कोल्ड्रिंक्स, फ्रोजन पिज्जा या फ्रोजन फूड्स आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स में चॉकलेट, कैंडी, आइसक्रीम, हॉटडॉग, चिकन नगेट्स भी आते हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स में कैलोरीज ज्यादा होती हैं जिससे मोटापा, हार्ट डिसीज, डायबिटीज आदि बीमारियों का खतरा बढ़ता है। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स को कॉस्मेटिक फूड्स के नाम से भी जाना जाता है जिसमें खाने के नेचुरल तत्व हटा कर उसे कृत्रिम तत्वों में बदल दिया जाता है।
यह देखा जाता है इस प्रकार के खाध पदार्थों ने घर घर में अपने पांव पसार लिए है। विशेषकर महानगरों के स्कूल, कालेजों और नौकरी करने वाले अधिकतर युवा अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स अथवा फास्ट फूड पर चलते हैं, बल्कि यह कहना ज्यादा उचित होगा कि उन्हें इनका चस्का लगा हुआ है। नतीजा बड़ा ही खौफनाक है। इस फूड खाने के आदी युवा ऐसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं जो बुढ़ापे की बीमारियाँ समझी जाती हैं। बाजार में फूड के नाम पर जो चीजें सहज उपलब्ध हैं, उनमें शर्करा और चर्बी तो होती है, लेकिन प्रोटीन लगभग नदारद होती है। यही नहीं, उनमें पड़ने वाले कृत्रिम नमक और प्रिजर्वेटिव्स स्वास्थ्य के लिए जहर जैसे होते हैं। प्रोटीन की कमी उनमें कितनी ही स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा करती हैं। इसमें पोषण की कमी होती है और शरीर के तंत्र के लिए हानिकारक होता है। ज्यादातर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड उच्च स्तर पर वसा, शुगर, लवणता, और बुरे कोलेस्ट्रॉल से परिपूर्ण होते हैं, जो स्वास्थ के लिए जहर होते हैं। इनमें पोषक तत्वों की कमी होती है इसलिए आसानी से कब्ज और अन्य पाचन संबंधी बीमारियों का कारण बनते हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के खाद्य उत्पादों ने एक दशक में ही भारतीय बाजारों पर अपना कब्जा जमा लिया है। बड़े होटलों, रेस्ट्रां से लेकर जनरल स्टोर, किराने की दुकानों, थड़ियों और चायपान की दुकानों पर ये उत्पाद आपको आसानी से उपलब्ध हो जायेंगे। इनमें फास्ट फूड ऐसा उत्पाद है जो कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाता है। मैगी इसका जीवन्त उदाहरण है। मैगी का उपयोग घर-घर में हो रहा है और बच्चे विशेष रूप से इसे बड़े चाव से खा रहे हैं। जंक फूड आमतौर पर चिप्स, कैंडी, बर्गर, पिज्जा, फ्रेंकी, चाऊमीन, चाकलेट, पेटीज जैसे तले-भुने फास्ट फूड को कहा जाता है। इसके अलावा दुकानों पर लटकने वाली चमकीली थैलियों में लेज, कुरकुरे, चिप्स आदि का सेवन भी घर-घर में धड़ल्ले से हो रहा है। ठण्डे पेय का बाजार अलग से गर्म
है। भांति-भांति के ठण्डे पेय की बोतलें बाजारों में उपलब्ध हैं। इन उत्पादों ने न केवल महानगरों अपितु छोटे-छोटे नगरों, कस्बों और गांवों तक में अपनी पहुंच बनाली है। भागदौड़ की इस जिंदगी में तैयार खाद्य उत्पादों का उपयोग बहुतायत से होने लगा, फलस्वरूप देशी खाद्य पदार्थ पर्दे के पीछे चले गये और इन उत्पादों के प्रचार-प्रसार के पीछे हमारे उत्पाद गौण हो गये। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है हेल्दी फूड्स और डाइट। शरीर को स्वस्थ रखने में डाइट अहम भूमिका निभाती है। अगर हमारी डाइट हेल्दी पोषक तत्वों से भरपूर है तो हमारा शरीर न सिर्फ सेहतमंद रहेगा बल्कि कई बीमारियों से भी बचा रहेगा।

LEAVE A REPLY