kalraj misra
जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने विद्वतजनों से संस्कृति के जीवंत मूल्यों को सहेजते हुए राष्ट्र और समाज के उत्थान में सार्थक भूमिका निभाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि हमे जातीयता, क्षेत्रीयता और संकीर्ण मानसिकता को पीछे छोड़ने एवं सामाजिक कुरीतियों  को दूर करते हुए संपूर्ण समाज के विकास का संकल्प लेना होगा।
राज्यपाल मिश्र रविवार को लखनऊ के सहकारिता भवन स्थित चौधरी चरण सिंह सभागार में विद्वत समिति, उत्तरप्रदेश द्वारा आयोजित विद्वत समाज सम्मेलन एवं अभिनन्दन समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति एवं समाज के उत्थान में विद्वतजनों की भूमिका विषयक अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र के साथ पूरे विश्व को एकसूत्र में पिरोने का संदेश देती है और व्यक्ति को उदात्त जीवन मूल्यों की सनातन दृष्टि देती है। उन्होंने कहा कि संस्कृति व्यक्ति में निरंतर सुधार करते हुए उसे संस्कारवान बनाती है जिससे वह अपने लिए ही नहीं बल्कि सबके लिए कार्य करने के लिए  प्रेरित होता है ।
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि वे ब्राह्मण को किसी समाज और समुदाय के सीमित अर्थ में नहीं बल्कि विराट भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग के रूप में देखते हैं। उन्होंने कि ब्राह्मण विद्वतजनों से जुड़ा देश का विराट समुदाय है। इस समुदाय ने सदा ही भारतीय संस्कृति की जड़ों को पोषित करते हुए जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करने का कार्य किया है ।
केन्द्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पाण्डेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं समाज के उत्थान में विद्वतजनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनके कार्य एवं व्यवहार से सनातन जीवन मूल्यों के उच्च आदर्श परिलक्षित होने चाहिए। समारोह में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। यूपीसीएलडीएफ के चेयरमैन वीरेन्द्र कुमार तिवारी ने राज्यपाल मिश्र के व्यक्तित्व के संस्कृति एवं संवैधानिक मूल्यों से जुड़े पक्ष पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में राज्यपाल मिश्र ने उपस्थितजनों को संविधान की उद्देश्यिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले  विद्वतजनों को सम्मानित भी किया गया। समारोह में अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर के मंहत राजूदास जी महाराज, वरिष्ठ समाजसेवी विनय कुमार मिश्रा सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।

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