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जयपुर। सवारियों के लिए सांगानेर से चाकसू तक का परिवहन विभाग से परमिट लेकर बस को स्कूल के बच्चों के लिए लगाना बस मालिक को उस समय महंगा पड़ गया, जब एमएसीटी कोर्ट-एक जयपुर मेट्रो में जज राजेन्द्र कुमार ने विपक्षी बीमा कंपनी यूनाइटेड इण्डिया, एमआई रोड जयपुर को क्लेम से मुक्त करते हुए बस मालिक को ही दोषी मानते हुए 3 क्लेम याचिकाओं में ब्याज सहित करीब 25 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति देने के आदेश दे दिए।

बीमा कम्पनी के एडवोकेट विमल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि बीमित वाहन का दुर्घटना के समय वैध एवं प्रभावी परमिट नहीं था तथा दुर्घटना के समय बस का उपयोग स्कूल के बच्चों व स्टाफ को लाने-ले जाने में बाल वाहिनी के रूप में किया जा रहा था। जबकि बस का बालवाहिनी का कोई परमिट नहीं था। बस मालिक ने रूट नम्बर 6 का परमिट ले रख था, लेकिन बस को आदर्श विद्या मंदिर, कोटखावदा में लगा रखा था। 6 जनवरी, 2०15 को बस तालुकपुरा डूंगरी-चाकसू में पलट गई। इस दुर्घटना स्वरूप अध्यापक गोपाल लाल मीणा (3०) की मौके पर ही मौत हो गई तथा अन्य अध्यापक मुकेश चौधरी छात्र जितेन्द्र शर्मा, विनोद सहित 15-2० अन्य के चोटें आई थी। बाद में गोपाल लाल के परिजनों ने 37.25 लाख रुपए, घायल हुए विनोद ने 12.72 लाख रुपए एवं जितेन्द्र ने 7.25 लाख रुपए की अलग-अलग क्लेम याचिकाएं पेश की।

बीमा कम्पनी ने प्रकरण में आरटीओ की न्यायालय में साक्ष्य करवाई गई जिसमें आरटीओ ने स्पष्टत: कहा कि स्कूल बस के लिए बाल वाहिनी का परमिट लाजमी है, साक्षीयों की जिरह से न्यायाधिकरण ने बस को बाल वाहिनी के रूप में ही इस्तेमाल किया जाना मानते हुए बीमा कम्पनी की आपत्ति को स्वीकार कर अवार्ड अदायगी के दायित्व से मुक्त कर दिया और वाहन स्वामी के द्बारा परमिट के विपरीत वाहन के उपयोग को मानते हुए बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन माना। कोर्ट ने जितेन्द्र को 51 हजार रुपए, विनोद को 6० हजार एवं बेवा नानगी देवी व अन्य को 17.83 लाख रुपए तथा 2०15 से अदायगी तक सात प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी अदा करने के आदेश दिए हैं। उपरोक्त बस का मालिक महेश गोस्वामी निवासी चाकसू व चालक बस्सी निवासी मुकेश पुरी था।

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