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नई दिल्ली : ट्रंप प्रशासन का कहना है कि पाकिस्तान के साथ सामरिक धैर्य बनाए रखने और उसे प्रलोभन देने की बजाय अब इस्लामाबाद के साथ कुछ नया करने का समय है, ताकि देश को आतंकवादियों के लिए ऐसा सुरक्षित पनाहगाह बनने से रोका जा सके, जहां से वे वे (आतंकवादी) अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला कर सकते हैं।उसने कहा कि 9/11के हमले के बाद अमेरिका की सरकारों द्वारा अपनाई गयी पाकिस्तान नीति ने सही काम नहीं किया है।ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर पत्रकारों से कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान या अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने देने को लेकर प्रतिबद्ध है, जहां से वे (आतंकवादी) अमेरिका एवं उनके सहयोगियों पर हमला करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह पनाहगाह क्षेत्र में स्थितरता के लिए खतरा बन गये हैं और वह आतंकवाद से जुड़ी उन सभी गतिविधियों को तूल दे रहे हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, उल्लेखनीय है ‘‘पूर्व प्रशासन ने सामरिक धैर्य बनाए रखने और केरी-लुगर-बर्मन बिल जैसे प्रलोभन दिए (जिसके तहत पाकिस्तान को अरबों डॉलर की सहायता राशि मुहैया कराई गई) लेकिन कुछ भी काम नहीं आया।’’ उन्होंने कहा कि आतंकवादी पाकिस्तान में पूरी आजादी से काम कर रहे हैं और राज्य एवं आतंकवादी समूहों के बीच भी वहां संबंध हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रशासन का मानना है कि अब कुछ नया करने का समय आ गया है। अफगानिस्तान में अगर हमें कुछ अच्छा करना है तो हम इन पनाहगाहों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। राष्ट्रपति अफगानिस्तान को स्थिर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को लेकर स्पष्ट रहे हैं।’’ पिछले सप्ताह, ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली दो अरब डॉलर की सहायता राशि रोक दी थी। इसपर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा था कि अमेरिका अब पाकिस्तान का सहयोगी नहीं है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘क्षेत्र में 9/ 11 हमले की जड़ें हैं। हमनें अफगानिस्तान में मानवशक्ति और धन निवेश किया है। हम अफगानिस्तान में तालिबान को हावी न होने देने के अपने संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध हैं और हम अफगानिस्तान या पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने न देने को भी प्रतिबद्ध हैं, जहां से आतंकवादी अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला कर सकते हैं।’’

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