जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने गुरुवार को एसआई भर्ती 2021 रद्द कर दी। 859 पदों के लिए एग्जाम हुआ था। पेपर लीक में कई ट्रेनी एसआई पकड़े गए थे। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा- इस भर्ती का पेपर पूरे प्रदेश में फैला। पेपर लीक में आरपीएससी के 6 सदस्यों की भूमिका थी। ब्लूटूथ गैंग के पास भी भर्ती का पेपर पहुंचा। इन हालातों में इस भर्ती को जारी नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने निर्देश दिए कि साल 2025 की भर्ती में इस भर्ती के पद भी जोड़े जाए। वहीं एसआई भर्ती 2021 के सभी अभ्यर्थियों को इसमें फिर शामिल किया जाए। हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा- हाईकोर्ट ने अपने आदेश में आरपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय और 6 मेंबर को एसआई भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी में लिप्त माना है। आदेश में लिखा- आरपीएससी सदस्य बाबू लाल कटारा और रामूराम राईका की पेपर लीक करने में संलिप्तता के अलावा, आरपीएससी के अन्य सदस्य भी 2021 भर्ती प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा से समझौता करने में संलिप्त पाए गए। बाबू लाल कटारा ने राईका को अपने बच्चों के लिए अनुकूल इंटरव्यू पैनल सुनिश्चित करने के लिए आरपीएससी अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय से मिलने की सलाह दी। रामूराम राईका ने अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय से मुलाकात की, जिन्होंने देवेश राईका के इंटरव्यू पैनल में भाग लिया और शोभा राईका के पैनल में बाबू लाल कटारा की भागीदारी सुनिश्चित की। इस प्रकार, अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय इंटरव्यू में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने में सक्रिय रूप से शामिल थे। हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा रामूराम राईका ने अपने बच्चों के इंटरव्यू के संबंध में आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा, संगीता आर्य और जसवंत राठी से भी बातचीत की। इन सदस्यों की भागीदारी आरपीएससी के अंदर प्रणालीगत भ्रष्टाचार का संकेत देती है, जिससे इंटरव्यू और लिखित परीक्षा, दोनों ही चरणों में भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता को खतरा पहुंच रहा है। हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा विवादित भर्ती प्रक्रिया के इंटरव्यू पैनल में बाबू लाल कटारा को शामिल करना, अपने आप में एक गंभीर अपराध है। जबकि उदयपुर में बाबू लाल कटारा के खिलाफ जांच चल रही थी। तत्कालीन अध्यक्ष सहित आरपीएससी के कुल 6 सदस्य, व्यवस्थित रूप से भर्ती प्रक्रिया को कमजोर करने में शामिल थे। कोर्ट ने कहा- भर्ती में सही और गलत की छंटनी संभव नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कई अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिन्होंने ईमानदारी से पेपर दिया है। उनके प्रति भी हमारी सहानुभूति है। हालांकि अगर पेपर लीक के जरिए एक भी व्यक्ति थानेदार बनता है तो यह सही नहीं होगा। कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा- हाई कोर्ट के फैसले से सच की जीत हुई है। इस पूरी भर्ती में फर्जीवाड़ा हुआ था। मेरी जानकारी के अनुसार 500 से ज्यादा ऐसे अभ्यर्थी थे, जिन्होंने फर्जीवाड़ा करके यह परीक्षा पास की थी। किरोड़ी ने कहा कि सरकार ने तो सिर्फ 58 फर्जी सब इंस्पेक्टर को ही पड़ा था, लेकिन मेरे पास जो दस्तावेज थे। उसके आधार पर तो 50% से ज्यादा फर्जी अभ्यर्थी सब इंस्पेक्टर परीक्षा में सिलेक्ट हुए थे। अगर ऐसे लोग सर्विस में आते तो आप कल्पना कीजिए प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की क्या स्थिति होती। इसलिए मुझे लगता है जो हुआ है, उसमें देरी जरूर हुई है, लेकिन यह बहुत अच्छा हुआ है। याचिकाकर्ता के वकील हरेंद्र नील ने कहा- हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इसमें बड़े पैमाने पर नकल हुई थी। आरपीएससी सदस्य तक इसमें शामिल थे। नई भर्ती में इसके पद जोड़े जाएंगे। हरेंद्र नील ने बताया- कोर्ट ने आरपीएससी मेंबर पर कमेंट किया है कि घर का भेदी ही लंका ढहाता है और यहां बाबूलाल कटारा ने पूरी लंका ढहा दी। इसके अलावा आरपीएससी के पांच मेंबर की भूमिका इसमें पाई गई है। कोर्ट ने आरपीएससी वाले मामले में संज्ञान लिया और मामला चीफ जस्टिस के सामने रखा है। जो एडमिस्ट्रेशन लेवल पर आगे बढ़ाया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि पूरी भर्ती दूषित है। यदि ये रद्द नहीं होती है तो प्रदेश का लॉ एंड ऑर्डर प्रभावित हो सकता है। उन्होंने बताया कि बाबूलाल कटारा, रामूराम राईका, मंजू शर्मा और इंटरव्यू के समय चेयरमैन समेत अन्य मेंबर शामिल है। जो पकड़े गए हैं, उन्हें रिकवरी के भी आदेश हुए हैं।
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