Trial of Dr. Abdul Hameed's Death Reference upto High Court hearing till 26

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने फीस नियामक कानून, 2016 के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रमुख स्कूल शिक्षा सचिव, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक और माध्यमिक जिला शिक्षाधिकारी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इसके साथ ही अदालत ने भारतीय विद्या भवन की ओर से संचालित स्कूल पर कडी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश भारतीय विद्या भवन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से शपथ पत्र पेश किया गया। जिसमें कहा गया कि स्टाफ को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है। इसके अलावा आरटीई के तहत राज्य सरकार प्रति छात्र केवल 17 हजार रुपए ही आवंटित करता है। जबकि खर्चा कई गुणा ज्यादा होता है। ऐसे में स्कूल प्रशासन ने बीस फीसदी तक फीस बढ़ाई है। वहीं डिजीटल बोर्ड की सुविधा के लिए प्रतिमाह दो सौ रुपए प्रति छात्र लिए जा रहे हैं। इसके अलावा बोर्ड ट्रस्टी बिना वेतन लिए ही सेवाएं दे रहे हैं। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि सरकार से अनुदान नहीं लिया जाता। ऐसे में उस पर फीस नियामक कानून लागू नहीं होता है।

इसके अलावा संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में अन्य अफसरों को शामिल करते हुए फीस कमेटी बनाई गई है। कमेटी में राज्य सरकार की ओर से नामित व्यक्ति ही स्कूल प्रशासन का प्रतिनिधि होता है। डीईओ ने याचिकाकर्ता की ओर से बढ़ाई स्कूल फीस पर गत 20 अप्रैल को रोक लगा दी। जबकि डीईओ को इस संबंध में कोई अधिकार ही प्राप्त नहीं है। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि संसाधनों के आधार पर स्कूल संचालक फीस वसूल कर सकते हैं। ऐसे में फीस नियामक कानून को रद्द किया जाए अथवा याचिकाकर्ता को इसके क्षेत्राधिकार से बाहर माना जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए स्कूल के खिलाफ कडी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।

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