जयपुर। अपने हक के लिए धरने पर बैठी वीरांगनाओं ने सीएम आवास की तरफ कूच किया। मुंह में घास लगाकर नतमस्तक होकर न्याय की गुहार भी लगाई। मगर पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। इस दौरान एक वीरांगना की तबियत भी खराब हो गई। मगर उसने ने एम्बुलेंस से अस्पताल जाने से मना कर दिया। उधर किरोड़ी ने चेतावनी दी कि मुख्यमंत्री निरंकुश ना बनें। अगर वीरांगनाओं के हक के लिए 11 साल भी धरने पर बैठना पड़ा तो बैठूंगा। यह धरना 10 दिन से चल रहा है। पिछले तीन दिन से किरोड़ी व वीरांगनाएं पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के आवास के बाहर धरना दे रही हैं। मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। सरकार से कई मंत्री, पुलिस अधिकारी वार्ता के लिए आ चुके हैं, लेकिन लिखित में कोई आश्वासन देने को तैयार नहीं है। उधर सीएम ने साफ तौर पर मना कर दिया कि शहीदों के बच्चों का हक किसी दूसरे को नहीं दिया जाएगा। सीएम के इस बयान के बाद से ही वीरांगनाओं में नाराजगी है। इसे लेकर ही उन्होंने दोपहर में सीएम आवास की तरफ कूच किया, मगर पुलिस ने बेरिकेड्स लगाकर रोक दिया। उन्होंने कहा कि हम अपनी मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहती हैं, मगर उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा है। राजभवन चौराहे पर जैसे ही वीरांगनाओं को पुलिस ने रोका तो उन्होंने मुंह में घास रखकर दंड़वत निवेदन किया कि उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने दिया जाए। मगर पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। बताया जा रहा है कि आदिवासी समाज में परंपरा है कि किसी भी फरियाद या विनती के लिए मुंह में हरीघास लेकर जाने वो पूरी होती है। वीरांगनाओं ने कहा कि गूंगी-बहरी सरकार को हमारी मांगें सुनाई नहीं दे रही हैं। हम सीएम आवास पर जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने हमें रोक लिया। हमारी यही मांग है कि देवर को नौकरी दी जाए और शहीद की मूर्ति लगाई जाए। किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि दुर्भाग्य है कि वीरांगनाओं अपनी चुनी हुई सरकार के नेता से मिलने नहीं दिया जा रहा है। गूंगी बहरी सरकार को वीरांगनाओं के आंसू भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। जब तक सरकार इनकी मांगों को पूरा नहीं करती। धरना जारी रहेगा।

LEAVE A REPLY