beekaaner pashchim se beedee kalla ko mila tikat, kaangres kee teesaree soochee mein 18 ummeedavaar ghoshit

जयपुर। अपने गृह जिलों में ही प्रभारी मंत्री बने हुए भाजपा सरकार के कद्दावर नेताओं व मंत्रियों को हटा दिया है। इन्हें दूसरे जिलों का प्रभार दिया है। सरकार के इस कदम के बड़े राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि सरकार ने प्रभारी मंत्रियों और प्रभारी सचिवों को भी बदलकर अभी से ही विधानसभा चुनाव की तैयारियों के इरादे जाहिर कर दिए हैं। ढाई साल बाद विधानसभा चुनाव है। ऐसे में गृह जिलों के प्रभारी मंत्रियों के प्रति कार्यकर्ताओं की नाराजगी और गुटबाजी बढ़ती देख सरकार को इन्हें बदलने का कठोर कदम उठाना पड़ा। दूसरे मंत्रियों को प्रभार देकर यह जताने का प्रयास किया है कि सरकार और पार्टी कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान करती है और उनके कार्यों को पूरा करने के लिए कटिबद्ध है। वहीं कई जिलों में चरम तक पहुंच चुकी गुटबाजी को भी खत्म करना चाहती है। जिससे चुनाव में सभी एकजुट होकर पार्टी हित में कार्य कर सके और सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों को भी आम जनता तक पहुंचा सके। उधर, जिलों के प्रभारी सचिवों को भी बदलकर सरकार ने अभी से ही चुनाव तैयारियों के इरादे जाहिर कर दिए हैं। इन सचिवों के बारे में भी कार्यकर्ताओं के साथ विधायकों व दूसरे जनप्रतिनिधियों की भी राय ठीक नहीं थी। इनकी कार्यशैली से वे सभी नाराज बताए जा रहे थे। प्रदेश में रिकॉर्ड तोड बहुमत के बाद सरकार ने मंत्रियों को हर जिलों का प्रभार सौंपा। यह सोचकर कई वरिष्ठ मंत्रियों को उनके गृह जिलों का प्रभारी बनाया कि वे अपने जिलों के कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान को बरकरार रखते हुए उनके कार्यों को पूरा करेंगे। गुटबाजी को खत्म करेंगे और जनता की आशाओं पर खरा उतरेंगे। इसी सोच के साथ उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ को जयपुर, गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया को उदयपुर, चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ को चुरु व झुंझुनूं, जनजाति मंत्री नंदला मीना को प्रतापगढ़ और दूसरे कई वरिष्ठ मंत्रियों को भी उनके जिलों की जिम्मेदारी दी गई। सवा दो साल के राज में ही गृह जिलों से प्रभारी मंत्रियों की शिकायतें आने लगी। कार्यकर्ता शिकायत करने लगे कि प्रभारी मंत्रियों की आने-जाने की सूचना नहीं रहती। आते हैं तो मिलने का पूरा वक्त नहीं देते। सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र और समर्थक स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं की ही सुनते हैं और उनके ही कार्यों की तवज्जों दी जाती है। पूरे जिले के बजाय क्षेत्र पर फोकस किए हुए थे। विरोधी गुट के कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती है और ना ही मिलने दिया जाता है। विरोधी नेताओं व कार्यकर्ताओं को अनसुना करके और उन्हें तवज्जों नहीं देकर दबाने की शिकायतें भी रही। इस वजह से गुटबाजी खत्म होने के बजाय बढ़ती गई। कुछ जिलों में तो प्रभारी मंत्री व उनके विरोधी नेताओं के समर्थकों में गलत बयानबाजी और झगड़े की नौबत तक रही है। गुटबाजी और नाराजगी के चलते सरकार और पार्टी के कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहे थे। ऐसे कार्यक्रमों में कार्यकर्ता दूरी बनाने लगे। राजनीति दृष्टि से महत्वपूर्ण जयपुर जैसे जिले में तो गुटबाजी और अंतर्कलह के चलते शहर भाजपा का गठन तक नहीं हो पा रहा है। दूसरी बार शहर अध्यक्ष निर्वाचित हुए संजय जैन के भरोसे पार्टी की गतिविधियां चल रही है। वे पदाधिकारियों की सूची प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को दे चुके हैं, लेकिन विधायक एक राय नहीं होने के कारण कार्यकारिणी बन नहीं पा रही है। करीब दो साल का पहला कार्यकाल भी संजय जैन बिना कार्यकारिणी के ही पूरा कर लिया था। स्थिति यह है कि मण्डल, मोर्चे और प्रकोष्ठ तक में भी नियुक्ति नहीं हो पा रही। प्रभारी मंत्री कालीचरण सराफ भी गुटबाजी को दूर नहीं कर पाए और ना ही कार्यकारिणी का गठन करवा पाए। जयपुर में तो मेटर्Óो रेल के निर्माण कार्य के चलते ढहाए व हटाए गए मंदिरों के कारण कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी है, जो गाहे-बगाहे सरकार और पार्टी नेताओं के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर सामने आ चुकी है और सरकार के खिलाफ आंदोलन भी हो चुके हैं। मंदिर हटाने के मुद्दे से अभी भी कार्यकर्ता, पदाधिकारी और नेता भी नाराज है। आरएसएस भी जयपुर में चक्का जाम करके विरोध जता चुका है। सरकार से कार्यकर्ता इस कदर नाराज है कि अभी एक महीने पहले छोटी चौपड़ पर रोजगारेश्वर महादेव मंदिर के पुन: शिलान्यास पर आए गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी समेत अन्य नेताओं को यहां तक कह दिया कि अब यहां क्यों आएं हो। जब मंदिर तोड़े जा रहे थे, तब कहां थे। कार्यकर्ताओं के डर के चलते परकोटे के विधायकों ने वहां जाना तक उचित नहीं समझा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर बिडला सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कार्यकर्ता तो पहुंचे, लेकिन प्रभारी मंत्री, सांसद व शहर अध्यक्ष के सामने ही कार्यक्रम खत्म होने से पहले कार्यकर्ता भी वहां से खिसक गए। वहीं मंदिर मुद्दे पर पूरे जयपुर जिले के कार्यकर्ताओं की इस नाराजगी को दूर करने की कोई जहमत तक नहीं उठा पा रहा है। जिस तरह से कार्यकर्ताओं के साथ जनता में गुस्सा है, उससे लगता है कि यह मुद्दा विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए गले की हड्डी बन सकता है। ऐसा ही कुछ उदयपुर का हाल है। वहां भी उदयपुर अंचल के बड़े नेता और प्रभारी मंत्री गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया का उदयपुर प्रेम कुछ ज्यादा ही कार्यकर्ताओं को खटकता रहा। कार्यकर्ताओं की शिकायतें हैं कि कटारिया जिले की राजनीति में अपनी दखलंदाजी कम होना नहीं देना चाहते। सिर्फ अपने ही समर्थक नेताओं व कार्यकर्ताओं से घिरे रहते हैं। इससे दूसरे गुट के कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होने के आरोप लगते रहे। बीकानेर के प्रभारी मंत्री खान व वन राज्यमंत्री राजकुमार रिणवां का बीकानेर में जबरदस्त विरोध होता रहा, हालांकि वे इस जिले के नहीं है, लेकिन वहां कार्यकर्ता उन्हें पसंद नहीं करते। ऐसी तमात तरह की शिकायतों को देखकर सरकार को प्रभारी मंत्रियों के जिलों को बदलना पड़ा। इससे यह संदेश भी देने का प्रयास किया है कि संगठन और कार्यकर्ता ही पार्टी के लिए सब कुछ है। गुटबाजी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रभारी मंत्रियों को बदलने के फैसले के बाद वहां नेता व कार्यकर्ताओं में यह संतोष है कि अब स्थानीय राजनीति में बड़े नेताओं की दखलंदाजी कम होगी और गुटबाजी भी लगाम लगेगी। दूसरे जिलों के प्रभारी मंत्री सभी कार्यकर्ताओं को एक दृष्टि से देखेंगे और पूरा सम्मान देंगे।
इन गृह जिला प्रभरियों को बदला
सरकार ने गृह जिला जयपुर के प्रभारी मंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ को भरतपुर, उदयपुर के प्रभारी गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया को जयपुर, चुरु व झुंझुनूं के प्रभारी चिकित्सा मंत्री को पाली व सिरोही, प्रतापगढ़ के प्रभारी मंत्री नंदलाल मीना को चित्तौडग़ढ़, जोधपुर व जालौर के प्रभारी मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर को अलवर, पाली के प्रभारी मंत्री सुरेन्द्र गोयल को जोधपुर व बाड़मेर, हनुमानगढ़ के प्रभारी मंत्री डॉ. रामप्रताप को बीकानेर व श्रीगंगानगर, राजसमंद प्रभारी मंत्री किरण माहेश्वरी को प्रतापगढ़ और नागौर, अलवर के प्रभारी मंत्री हेम सिंह भडाना को अजमेर, सीकर व नागौर के मंत्री अजय सिंह को हनुमानगढ़, बाडमेर के प्रभारी मंत्री अमराराम को जैसलमेर का प्रभार दिया है। भरतपुर की प्रभारी मंत्री कृष्णेन्द्र कौर को राजसमंद, अजमेर के प्रभारी मंत्री वासुदेव देवनानी को चुरु, हनुमानगढ़ के प्रभारी सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी को झुंझुनूं व सीकर, बूंदी के प्रभारी बाबूलाल वर्मा को बारां, बांसवाडा के प्रभारी मंत्री जीतमल खांट को जालौर, सिरोही के प्रभारी ओटाराम देवासी को डूंगरपुर, बीकानेर के प्रभारी मंत्री राजकुमार रिणवां को उदयपुर लगाया है।
आईएएस अफसरों के तबादलों से भी बल
राज्य सरकार ने हाल ही बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए 48 आईएएस अफसरों के तबादले कर दिए। आठ जिलों में आरएएस से पदोन्नत आईएएस को नियुक्ति दी गई है। यहीं नहीं जिलों के प्रभारी सचिवों को भी बदल दिया गया। यह सब कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस से ठीक पहले किया। जिससे यह चर्चा है कि जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को देखते हुए सरकार ने यह बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है और आरएएस अफसरों को कलक्टरी का दायित्व देकर विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से प्रशासनिक तैयारियों की रुपरेखा भी बनाना शुरु कर दिया है। हालांकि कुछ कलक्टरों व आईएएस अफसरों की फीडबैक रिपोर्ट गलत आने के चलते उन्हें बदला गया है। सरकार ने कुछ जिलों को छोड़कर दूसरे जिलों के प्रभारी सचिव को चेंज कर दिया। बताया जाता है कि प्रभारी सचिव ठीक से कार्य नहीं कर रहे थे। ना तो तय समय में जा रहे थे और ना ही जनता-जनप्रतिनिधियों की सुनवाई हो पा रही थी। इसका मैसेज ठीक नहीं जा रहा था। सांसद व विधायक भी इस बारे में सरकार तक अपनी शिकायतें दर्ज करवा चुके थे। इसके चलते ही सरकार ने प्रभारी सचिवों को बदला। दौसा, करौली जैसे अति संवेदनशील जिलों में आरएएस प्रमोटी आईएएस को लगाए गए हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा होने के कारण सरकार के भरोसेमंद रहते हैं और सरकार के मुताबिक कार्य करने की क्षमता रखते हैं। अभी से आरएएस अफसरों को कलक्टर बनाए जाने से यह तो तय है कि सरकार अब जन कार्यों में प्रशासनिक क्षमता का भी भरपूर उपयोग करना चाहती है।
मुख्यमंत्री दे चुकी संकेत
मुख्यमंत्री भी एकाध कार्यक्रमों में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अभी से ही जुट जाने का संकेत जाहिर कर चुकी है। हाल ही भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में तो मुख्यमंत्री राजे ने स्पष्ट कह दिया था कि विधायक व सांसदों को अभी से ही विधानसभा व लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाना चाहिए। कार्यकर्ताओं को सम्मान देने और उनके कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश देते हुए कहा था कि केन्द्र और राज्य सरकार के कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाए। अपने क्षेत्रों में हुए विकास कार्यों की बुकलेट छपवाकर उन्हें जनता तक पहुंचाए।
कांग्रेस नेताओं को सौंपा फिडबैक
कांग्रेस में प्रदेश कार्यकारिणी के पुनगर्ठन के करीब ढाई महीने बाद पदाधिकारियों में कार्य विभाजन कर फील्ड का रास्ता दिखा दिया है। पदाधिकारियों को फील्ड में जाकर काम करने की हिदायत दी गई है। ताकि केंद्र और राज्य सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनता में माहौल बनाया जा सके। साथ ही ढाई साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा सके। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने फरवरी में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का पुनगर्ठन किया था। पायलट ने 24 अप्रेल को कमेटी के पदाधिकारियों में कार्य विभाजन करते हुए प्रदेश की समस्त जिला कांग्रेस कमेटियों के जिला प्रभारियों तथा चारों अग्रिम संगठनों युवक कांग्रेस, महिला कांग्रेस, एन.एस.यू.आई. एवं कांग्रेस सेवादल के लिए प्रदेश कांग्रेस के प्रभारियों की घोषणा की हैं। जिम्मेदारी का बंटवारा नहीं होने से ये पदाधिकारी अभी तक ठाले बैठे थे। पायलट ने इन पदाधिकारियों को मुख्यालय में जयपुर स्थित मुख्यालय या फिर अपने गृह जिले में रहकर राजनीति करने की बजाय आवंटित कार्यभार के अनुसार संबंधित जिले में अधिक से अधिक सक्रिय रहने के निर्देश दिए हैं।
पदाधिकारियों के बीच इस बंटवारे को कांग्रेस में दो कारणों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एक तो यह कि इस बंटवारे के बाद कांग्रेस में सक्रियता बढ़ेगी। केंद्र और राज्य सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ कांग्रेस प्रभावी तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगी। जिसके आधार पर कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी खोई ताकत पुन: हासिल करने में मदद मिल सकेगी। दूसरी इस विभाजन के बाद नेताओं के परफोर्मेंस से आगामी विधानसभा चुनावों में टिकटों का फैसला होगा।
जहां कमजोर थे, वहां दिग्गजों को जिम्मेदारी
पिछले विधानसभा, लोकसभा और उसके बाद हुए निकाय एवं पंचायत चुनाव में कांग्रेस को हर इलाके में शिकस्त मिली है। परम्परागत वोट बैंक में भी भाजपा ने सेंधमारी करके विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हाशिये पर डाल दिया था। हालांकि बाद में हुए उपचुनाव में चार विधानसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस ने जीत दर्ज करके भाजपा को चौंका दिया था। पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस ने वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी की है। हालांकि अभी भी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों व नेताओं में मनोबल गिरा हुआ है। इस मनोबल को ऊंचा उठाने, जोश भरने और संगठन की स्थिति मजबूत करने के लिए जहां-जहां पार्टी की स्थिति कमजोर है वहां प्रभारी की जिम्मेदारी कद्दावार नेताओं को सौंपी गई है। जयपुर, कोटा, उदयपुर, सीकर, अजमेर, दौसा, टोंक, अलवर, भरतपुर करौली, उदयपुर आदि जिलों का खास ध्यान रखा गया है। जयपुर में रघु शर्मा को हटाकर पूर्व मंत्री भंवर लाल मेघवाल को प्रभारी बनाया है। धौलपुर में विधायक विश्वेन्द्र सिंह को लगाया है। कार्य विभाजन के साथ ही इन पदाधिकारियों को संगठन की मजबूती के लिए कड़ी से कड़ी जोड़कर काम करने के लिए कहा है। राज्य स्तरीय मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रदेश स्तर से निर्देश मिलेंगे लेकिन, स्थानीय मुद्दों को लेकर विरोध की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी इन पदाधिकारियों की रहेगी। जिला कार्यकारिणी एवं कांग्रेस के अग्रिम संगठनों का सहयोग ये इस रणनीति को अमलीजामा पहनाएंगे।
यूं किया गया है काम का बंटवारा
जयपुर की कमान पूर्व मंत्री रहे प्रदेश उपाध्यक्ष भंवरलाल मेघवाल, महासचिव घनश्याम मेहर, सचिव महेन्द्रसिंह रलावता, डॉ. रीटा सिंह, रोहित बोहरा, शिवकांत नन्दवाना एवं डॉ. अजीजुद्दीन आजाद को सौंपी गई है। मेघवाल और रीटासिंह को पार्टी में काम करने का खासा अनुभव है। पायलेट ने जयपुर जिला अध्यक्ष की कमान पहले ही प्रतापसिंह खाचरियावास को सौंप रखी है। वे भी पूर्व विधायक रह चुके हैं। राजधानी होने के कारण जयपुर पर खास ध्यान रखा गया है।
दौसा में उपाध्यक्ष डॉ. रघु शर्मा, महासचिव बृजेन्द्रसिंह इन्द्रपुरा, सचिव दानिश अबरार एवं धीरज मीणा, सीकर में उपाध्यक्ष शंकर पन्नू, महासचिव मुरारीलाल मीणा, सचिव डॉ. चयनिका उनियाल एवं इन्द्राज गुर्जर, झुन्झुनंू में उपाध्यक्ष भंवरलाल मेघवाल, सचिव अजीत यादव एवं चेतन डूडी, अलवर में उपाध्यक्ष डॉ. रघु शर्मा, महासचिव जी.आर. खटाणा, सचिव हरीश यादव एवं कविता मीणा, भरतपुर में उपाध्यक्ष डॉ. खानू खां बुधवाली, महासचिव ज्योति खण्डेलवाल एवं सचिव कमल मीणा, धौलपुर में उपाध्यक्ष विश्वेन्द्र सिंह, महासचिव वैभव गहलोत एवं सचिव जाहिदा, करौली में उपाध्यक्ष विश्वेन्द्र सिंह, महासचिव अशोक सैनी, सचिव अमीन कागजी एवं विजय यादव, सवाईमाधोपुर में उपाध्यक्ष राजेन्द्र चौधरी, सचिव शारदा साध एवं आदित्य शर्मा, कोटा शहर में उपाध्यक्ष डॉ. करण सिंह यादव, महासचिव बालकृष्ण खींची एवं सचिव के.के. हरितवाल, कोटा देहात में उपाध्यक्ष करणसिंह यादव, महासचिव सुशील शर्मा, सचिव प्रशांत बैरवा एवं मोहन डागर, बून्दी में उपाध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा, महासचिव पूनम गोयल एवं सचिव महेश शर्मा (दौलतपुरा), झालावाड़ में उपाध्यक्ष अशोक बैरवा, महासचिव पंकज मेहता एवं सचिव भरत शर्मा, बारां में उपाध्यक्ष अशोक बैरवा, सचिव नईमुद्दीन गुड्डू एवं समृद्ध शर्मा, उदयपुर शहर में उपाध्यक्ष महेन्द्रजीत सिंह मालवीय एवं सचिव सुमित्रा जैन, उदयपुर देहात में उपाध्यक्ष महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, महासचिव शंकर यादव, सचिव अर्जुन बामनिया एवं नारायणसिंह बारौली, डूंगरपुर में उपाध्यक्ष उदयलाल आंजना, महासचिव गजेन्द्रसिंह शक्तावत एवं सचिव सुरेन्द्र चण्डालिया, बांसवाड़ा में उपाध्यक्ष उदयलाल आंजना, महासचिव मांगीलाल गरासिया एवं सचिव पंकज शर्मा, चित्तौडग़ढ़ में उपाध्यक्ष गोपालसिंह शेखावत, महासचिव जगदीश माली, सचिव वंदना माथुर एवं शोभा सोलंकी, राजसमन्द में उपाध्यक्ष रघुवीर मीणा, महासचिव नीरज डांगी एवं सचिव राजेन्द्रसिंह सांखला, प्रतापगढ़ में उपाध्यक्ष गोपालसिंह शेखावत, सचिव जैनेन्द्र त्रिवेदी एवं जितेन्द्र टाक, अजमेर शहर में उपाध्यक्ष प्रमोद जैन भाया, सचिव सुरेश मिश्रा एवं सुनील पारवानी, अजमेर देहात में उपाध्यक्ष प्रमोद जैन भाया, महासचिव गंगा देवी एवं सचिव सुरज्ञान सिंह घौसल्या, भीलवाड़ा में उपाध्यक्ष रतनसिंह जाटव, महासचिव रामगोपाल बैरवा, सचिव राजेश कुमावत एवं आर.सी. चौधरी, टोंक में उपाध्यक्ष राजेन्द्र चौधरी, महासचिव भरोसीलाल जाटव, सचिव बालेन्दुसिंह शेखावत एवं मंजू शर्मा, नागौर में उपाध्यक्ष गोविन्दसिंह डोटासरा, महासचिव महेश शर्मा, सचिव राकेश मोरदिया एवं जसवंत गुर्जर, जोधपुर शहर में महासचिव सत्येन्द्र भारद्वाज एवं सचिव रूपाराम मेघवाल, जोधपुर देहात में महासचिव महेन्द्र चौधरी, सचिव शमा बानो एवं गुमानसिंह देवड़ा, जैसलमेर में उपाध्यक्ष हीरालाल बिश्नोई एवं महासचिव पुखराज पाराशर, बाड़मेर में उपाध्यक्ष हीरालाल बिश्नोई, महासचिव शब्बीर हुसैन खान, सचिव जगदीश चौधरी एवं उम्मेदसिंह तंवर, जालोर में उपाध्यक्ष जगदीशचन्द्र शर्मा, महासचिव रूपेशकांत व्यास, सचिव सोमेन्द्र फालना एवं इन्द्रसिंह देवडा, सिरोही में उपाध्यक्ष लक्ष्मणसिंह रावत, महासचिव लीला मदेरण, सचिव करणसिंह उचियारडा एवं खेतसिंह मेडतिया, पाली में उपाध्यक्ष लक्ष्मणसिंह रावत, महासचिव सुनीता भाटी, सचिव रतन देवासी एवं पारसमल जैन, बीकानेर शहर में उपाध्यक्ष भरत मेघवाल, महासचिव रेहाना रियाज एवं सचिव राजेन्द्र गोदारा, बीकानेर देहात में उपाध्यक्ष भरत मेघवाल, महासचिव पवन गोदारा एवं सचिव राकेश थिन्द, गंगानगर में उपाध्यक्ष राजीव अरोडा, महासचिव मनीष धारणिया, सचिव जगदीश वर्मा एवं राजकुमार किराडू, हनुमानगढ़ में उपाध्यक्ष मकबूल मण्डेलिया, सचिव कृष्णा पूनिया एवं हरजिन्दरसिंह बराड, चूरू में उपाध्यक्ष शंकर पन्नू, महासचिव मंगलाराम गोदारा, सचिव तेजदीप सिंह संधू एवं हाजी जिया उर रहमान को जिला प्रभारी नियुक्त किया गया है।
प्रदेश युवक कांग्रेस का महासचिव कुलदीप इन्दौरा एवं सचिव कुलदीपसिंह राजावत, प्रदेश महिला कांग्रेस का महासचिव विजयलक्ष्मी बिश्नोई, सचिव रमा बजाज, नीलिमा सुखाडिया एवं संगीता गर्ग, प्रदेश एन.एस.यू.आई. का महासचिव धीरज गुर्जर, सचिव रंजू रामावत एवं बत्तीलाल बैरवा तथा प्रदेश कांग्रेस सेवादल का महासचिव डॉ. अजीतसिंह शेखावत, सचिव डॉ. धूपसिंह पूनियां एवं सचिव नवीन यादव को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से प्रभारी नियुक्त किया गया है।

LEAVE A REPLY