Patients harassing doctors in Rajasthan

जयपुर….। राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के 33 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर तीन दिनों से जारी हड़ताल के कारण प्रदेश में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है, वहीं सरकार ने हड़ताली चिकित्सकों से फिर बातचीत की पेशकश की है। चिकित्सा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने हड़ताल से निपटने के लिए अस्पतालों में वरिष्ठ चिकित्सकों को तैनात किया गया है और प्रदेश भर में निजी अस्पतालों की मदद ली जा रही है। उन्होंने हड़ताली चिकित्सकों से बातचीत की संभावना पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के एक पदाधिकारी ने हडताली चिकित्सकों एवं समर्थन दे रहे चिकित्सकों से सरकार के दमन से नहीं झुकने की अपील करते हुए कहा कि हमने सरकार को मांगों पर निर्णय करने के लिए पर्याप्त समय दिया, जिससे सरकार की कमजोरी के कारण हड़ताल पर जाने का निर्णय करना पड़ा है। बीकानेर से प्राप्त समाचार के अनुसार सरकारी सेवारत चिकित्सकों को सद्बुद्धि देने के लिए जागरूक लोगों ने बीकानेर में मौन जुलूस निकाला और डाक्टरों के कदम पर रोष व्यक्त किया। यह मौन जुलूस संभाग के सबसे बड़े अस्पताल पीबीएम से लेकर कलेक्ट्रेट परिसर तक पैदल मार्च निकाला गया।

मौन जुलूस से जुड़े शोधार्थी सुरेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रदेश के डाक्टरों ने अमानवीय तरीके से हड़ताल की है, जहां प्रदेश में एक तरफ डेंगू इत्यादि बीमारियों का प्रकोप है, ऐसी स्थिति में हालात खराब हो रहे है। इनकी हड़ताल का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। मरीजों को मजबूरन निजी चिकित्सकों एवं अस्पतालों की सेवा लेनी पड़ रही है। उन्होंने आह्वान किया कि चिकित्सकों को इस हड़ताल को सियासी रंग न देकर आमजन के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शीघ्र हड़ताल को समाप्त कर अपने काम पर लौट जाना चाहिए। राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश महासचिव डा. दुगार्शंकर सैनी ने बताया कि स्वास्थ्य प्रबंधन में सुधार, समयबद्ध पदोन्नति सहित विभिन्न मांगों को लेकर सामूहिक अवकाश पर गये सेवारत चिकित्सकों को सरकार से इस बार केवल आश्वासन नहीं चाहिए, वरन लिखित क्रियान्वति चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवारत चिकित्सक पिछले छह सालों से अपनी विभिन्न मांग सरकार के सम्मुख रख रहे है, लेकिन सरकार ने आज तक ठोस क्रियान्विति का आश्वास नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि पिछली 8 अगस्त से अब तक सरकार के साथ हुई 15 दौर की 100 घंटों की वार्ता में सरकार ने मांगों की ठोस क्रियान्विति का आश्वासन नहीं दिया है। सरकार मांगों की क्रियान्विति पर लिखित आश्वासन दे दें, तो हम वापस काम पर लौट जायेंगे। सरकार मांगों की क्रियान्विति भले ही छह माह बाद करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता और मरीजों की तकलीफों को ध्यान में रखते हुए सभी मेडिकल कालेजों की आपतकालीन सेवाओं और निजी मेडिकल कालेजों को आंदोलन से दूर रखा गया है।
सैनी ने कहा कि सरकार ने आज भी संघ के पदाधिकारियों को वार्ता के लिये बुलाया है।

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