जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कॉन्सटेबल भर्ती में अभ्यर्थी के स्थान पर दूर बैठकर पेपर हल करने वाले आरोपियों को जमानत देने से इंकार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि परीक्षा में व्यापक स्तर पर नकल के चलते राज्य सरकार को भर्ती को रद्द करना पड़ा। ऐसे में आरोपियों को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है। न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश राजीव देवास व 9 अन्य की ओर से दायर जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिए।
याचिका में कहा गया कि उन्हें लंबे समय से न्यायिक अभिरक्षा में रखा गया है। इसके अलावा जांच में उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य भी नहीं मिले हैं।
इसलिए उन्हें जमानत पर छोडा जाए। जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि आरोपियों ने अभ्यर्थियों से पांच-पांच लाख रुपए लेकर नकल कराई है। अभ्यर्थी लैब में बैठकर कम्प्यूटर पर केवल माउस चला रहे थे। जबकि आरोपी दूर बैठकर पेपर हल कर रहे थे। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि परीक्षा में राज्य सरकार के 18 करोड रुपए खर्च हुए थे। पेपर लीक के बाद परीक्षा को रद्द करना पड़ा। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
































