New insects, dengue and chikungunya are also being developed to detect Japanese encephalitis virus.

नयी दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने आज पशुओं और जीवों में संक्रमण का पता लगाने के लिए नये डायग्नोस्टिक किट की घोषणा की जिनमें जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस का पता लगाने वाली किट शामिल है। डेंगू और चिकनगुनिया का पता लगाने के लिए भी एक किट का विकास किया जा रहा है।आईसीएमआर के पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) ने इन डायग्नोस्टिक किट का विकास किया है और ये इस मायने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं क्योंकि कई तरह के संक्रमण मनुष्य में मवेशियों के करीब आने से ही फैलते हैं। एक विज्ञप्ति के अनुसार सार्वजनिक निजी साझेदारी में आईसीएमआर ने जाइडस के साथ मिलकर इस किट की घोषणा की और कहा कि पीपीपी से सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभों के लिहाज से और अधिक स्वदेशी तरीकों के नये रास्ते खुलेंगे। इनमें मच्छरों में जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस का पता लगाने के लिए एलिसा किट शामिल है। इसके अलावा डेंगू और चिकनगुनिया का पता लगाने के लिए मल्टीप्लेक्स रीयल टाइम पीसीआर किट के विकास की दिशा में भी काम हो रहा है।

इसमें कहा गया कि नयी तकनीक से खतरनाक और जानलेवा बीमारियों के संक्रमण का पता लग सकेगा और सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ प्रयासों को भी बल मिलेगा। आईसीएमआर की महानिदेशक और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की सचिव डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘आईसीएमआर अपने अंदर और बाहर हो रहे अनुसंधान कार्यों के परिणाम स्वरूप नवोन्मेषों को व्यावसायिक रूप प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है ताकि अनुसंधान के फायदे आम आदमी तक पहुंचें। इस तरह की अनदेखी की जाने वाली संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए समय पर पहचान और उपचार महत्वपूर्ण हैं। इन बीमारियों के उन्मूलन के अंतिम लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रोकथाम के तरीकों की मूलभूत बातों पर ध्यान देना और उन तक पहुंच में सुधार करना महत्वपूर्ण है।’’ किट्स का उत्पादन और मार्केटिंग जायडस डायग्नोस्टिक्स करेगी। ये किट सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं में तथा भारत एवं अन्य देशों के अस्पतालों में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होंगीं।

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