जयपुर। राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से कहा कि अनुसूचित जाति के कर्मचारी को किसी भी तरह की बडी सजा-दण्‍ड से पहले मामले की जांच के लिए एक ऐसी समिति बनाए जाए, जिसमें अनुसूचित जनजाति के कम से कम दो सदस्‍य अवश्‍य हों। राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्‍यक्ष नंद कुमार साय की अध्‍यक्षता में आज नई दिल्‍ली में आयोग की बैठक में यह फैसला किया गया। आयोग के संयुक्‍त सचिव शिशिर कुमार ने बताया कि अनुसूचित जनजाति के कार्मिक न्‍याय से वंचित न हों इस‍के लिए आयोग ने यह निर्णय किया है। आयोग की संस्‍तुति के अनुसार मंत्रालयों एवं विभागों में यदि जांच के लिए अनुसूचित जनजाति के अधिकारी मौजूद नहीं हैं, तो उस समिति में अन्‍य विभागों के अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों को शामिल किया जाये। आयोग ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से यह भी कहा है कि वे सभी मंत्रालयों एवं विभागों को निर्देश जारी करे कि वे आयोग की सलाह-संस्‍तुति पर आवश्‍यक कार्रवाई करें। यदि विभागों को कार्रवाई करने में कोई समस्‍या आती है तो वे उच्‍च न्‍यायालय जाने से पूर्व संबंधित मंत्रालय की अनुमति अवश्‍य प्राप्‍त करें। एक अन्‍य मामले में छत्‍तीसगढ के कांकेर जिले के पोरियाहुर गांव में कुपोषित बच्‍चों के अस्‍पताल में भर्ती होने की खबर पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने राज्‍य सरकार से रिपोर्ट तलब करने का फैसला किया है। साथ ही आयोग ने जनजाति क्षेत्रों में बच्‍चों के कुपोषण के मामलों पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए इस विषय पर एक अध्‍ययन कराने की सिफारिश की है। आयोग ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से कहा है कि जनजाति क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर सडक मार्ग से जोडा जाए ताकि आदिवासियों के लिए जरूरी औ‍षधियां एवं खाद्य पदार्थ आसानी से समय पर पहुंचाये जा सकें।

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