पटना। बिहार की राजनीति में अपना एक अहम मुकाम रखने वाले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के हर शब्द को गंभीरता से लेना चाहिए। उनके मुंह से निकला शब्द किसी ने किसी गूढ़ रहस्य से भरा होता है। आपको याद होगा लालू ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि अब मैं और नीतीश बूढ़े हो चले हैं और जीवन के आखिरी पड़ाव पर हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में तेजस्वी जैसे होनहार युवक हम दोनों की राजनीतिक विरासत संभालेंगे। उनका यह कथन अनायास ही नहीं था। यह एक सोची-समझी रणनीति के तहत बोला गया था। हालांकि इस कथन को नीतिश कुमार भांप गए थे। वहीं यूपी में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिल गया था। जिसके चलते तेजस्वी को बिहार का सीएम बनाने का लालू यादव का षडयंत्र धराशायी हो गया।
सूत्रों की माने तो विगत कुछ माह से लालू प्रसाद यादव किसी न किसी तरह अपने पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव को बिहार का सीएम बनाने की योजना पर काम कर रहे थे। वहीं पूर्व सीएम राबड़ी देवी सहित अन्य वरिष्ठ नेता खुलेआम यह कहने लगे थे कि वे तेजस्वी को बिहार सीएम के रुप में देखना चाहते हैं। ये सभी नेता वे थे, जो नीतीश के शराबबंदी के निर्णय से खफा थे। इसका संकेत खुद यूपी के सीएम रहे अखिलेश ने एक इंटरव्यू में दिया। जो उन्होंने यूपी में दुबारा सरकार बनाने के साथ 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस, राजद और तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर तैयारी करने की बात कही थी। वहीं नीतीश को कमजोर करने के लिए उन्हें सीएम पद से हटाने की योजना अमल में लाई जा रही थी। ताकि यूपी में अखिलेश की जीत के साथ वे देश में एक विकल्प बनकर उभर सके। सूत्र बताते हैं कि योजना के अनुसार लालू यह तय कर लिया था कि अखिलेश के यूपी सीएम के तौर पर दुबारा शपथ लेते ही महीनेभर में राजद का विलय सपा में करा कांग्रेस की मदद से तेजस्वी प्रसाद यादव को बिहार का सीएम बनवा देंगे। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में राजद के 80, कांग्रेस 27 विधायक है। सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की दरकार के चलते लालू ने जनता दल यूनाईटेड के 25 विधायकों से दल-बदल तय करा लिया था। लेकिन नीतीश को इस षडयंत्र का पता चला तो नीतीश कुमार ने रणनीति के तहत भाजपा के भीतर संबंध मधुर बना लिए। इसी बीच यूपी में भाजपा की सुनामी आई तो लालू का षडयंत्र फेल हो गया।

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