नई दिल्ली। देश-दुनिया के पत्रकारों के लिए वर्ष 2016 खासा बुरा रहा। पिछले साल दुनियाभर में 122 पत्रकार मारे गए यानी हर तीसरे दिन एक पत्रकार की मौत हुई। ये मौतें युद्ध व अशांत प्रभावित क्षेत्रों की कवरेज, आपराधिक रिपोर्टिंग के दौरान हुई। कई पत्रकारों की आपराधिक गिरोह ने हत्याएं की। भारत में 2016 में पांच पत्रकार मारे गए और सूची में इसका स्थान आठवां है। इराक इस सूची में सबसे ऊपर है। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स की ओर से जारी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि अफ्रीका, अमेरिका, एशिया प्रशांत, यूरोप, पश्चिम एशिया और अरब जगत के 23 देशों में पत्रकार हत्या, बम हमलों और गोलीबारी जैसी घटनाओं में असमय मौत का शिकार बने। 2015 में 112 पत्रकार मारे गए थे। इराक अभी भी मीडियाकर्मियों के मारे जाने के मामले में सबसे ऊपर है । इराक में 15 की मौत हुई तो इसके बाद अफ गानिस्तान में 13 और मेक्सिको में 11 की मौत हुई। पत्रकार ट्रेड यूनियनों के सबसे बड़े वैश्विक संघ के प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार मेक्सिको के बाद यमन में आठ, ग्वाटेमाला में छह, सीरिया में छह और भारत तथा पाकिस्तान में पांच-पांच पत्रकार मारे गए। भारत में 14 फ रवरी को जन संदेश टाइम्स के ब्यूरो चीफ तरुण मिश्रा की हत्या कर दी गई। एक स्थानीय चैनल के पत्रकार इंद्रदेव यादव की 16 मई को हत्या कर दी गई। दैनिक हिंदुस्तान के ब्यूरो चीफ राजदेव रंजन की 13 मई को जय हिंद के ब्यूरो चीफ किशोर दवे की 22 अगस्त को और दैनिक भास्कर के पत्रकार धर्मेंद्र सिंह की हत्या 12 नवंबर को हुई। भारत में वर्ष 2015 में निशाना बनाकर किए गए हमलों में छह मीडियाकर्मी मारे गए थे।

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