Ghanshyam Tiwari and Narpat Singh Rajvi encircle their own government

जयपुर। भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ मुकदमा और अनुसंधान करने से पहले सरकार से अभियोजन स्वीकृति लेने संबंधी संशोधित बिल को लेकर विपक्ष ने भाजपा सरकार को घेरा है, बल्कि भाजपा सरकार के दो वरिष्ठ विधायकों ने भी इस बिल को काला कानून बताते हुए जमकर खिंचाई की है। घनश्याम तिवाड़ी ने बिल के विरोध में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की जयंती पर आयोजित सम्मान समारोह में मिलने वाले सम्मान को लेने से ही इंकार कर दिया। इस संंबंध में गृहमंत्री गुलाब चंट कटारिया को पत्र लिखकर चेताया है कि अगर इस बिल को वापस नहीं लिया तो जिस तरह से आपातकाल में मैंने और दूसरे लोकतंत्र समर्थक कार्यकतार्ओं ने इमरजैंसी का विरोध किया था, वैसा ही विरोध इस बिल का किया जाएगा। तिवाड़ी ने इस बिल को काला कानून बताते हुए कहा कि यह बिल भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला और राजस्थान की संपदा को लूटने वाले साबित होगा।

पहले से ही प्रदेश की संपदा को लूटा जा रहा है। अब इस बिल से ऐसे भ्रष्ट लोकसेवकों को संरक्षण देकर खुलेआम लूट की छूट दी जाएगी, जिसे ना तो हम और ना ही प्रदेश की जनता बर्दाश्त करेगी। सड़क से सदन तक इसका जमकर विरोध दर्ज करवाया जाएगा। उधर, भाजपा के वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी ने भी इस बिल की खिलाफत करते हुए कहा कि लगता है कि राज्य सरकार की नीयत साफ नहीं है। बिल में छह महीने में भ्रष्ट लोक सेवकों की अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद ही कानूनी कार्रवाई के प्रावधान है, जो बेहद आपत्ति जनक है। भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ छह महीने के बजाय छह दिन में अभियोजन स्वीकृति के प्रावधान होने चाहिए। यह प्रावधान होता तो सरकार की मंशा जाहिर होती की सरकार इस कानून के माध्यम से भ्रष्टाचार और भ्रष्ट लोगों पर लगाम लगाना चाहती है। लेकिन छह महीने में अभियोजन स्वीकृति के प्रावधान करने से सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं और नीयत भी साफ झलक रही है कि बिल भ्रष्टाचार मिटाने को लेकर नहीं है, बल्कि बढ़ावा देने वाला लगता है। भाजपा विधायक दल की बैठक में भी विधायक राजवी ने इन प्रावधानों पर आपत्तियां दर्ज करवाई है।

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