दिल्ली। शिपिंग मंत्रालय ने नई दिल्ली में अपने प्रमुख कार्यक्रम “सागरमाला पर अमल में तेजी लाना – राज्यों के साथ साझेदारी ” पर एक कार्यशाला आयोजित की। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सागरमाला कार्यक्रम के लिए शिपिंग मंत्रालय, अन्य सम्बन्धित मंत्रालयों और भारत के विभिन्न समुद्र तटवर्ती राज्यों के बीच साझेदारी बढ़ाना था।
इस कार्यशाला की अध्यक्षता सचिव (शिपिंग) राजीव कुमार ने की और इस अवसर पर मुख्य भाषण नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने दिया। इस अवसर पर अमिताभ कांत ने कहा कि बंदरगाह आर्थिक विकास के उत्प्रेरक साबित हो सकते हैं और इसके साथ ही वे देश में निरन्तर 10 फीसदी की आर्थिक विकास दर हासिल करने में मददगार साबित हो सकते हैं। अतः ऐसी स्थिति में सागरमाला कार्यक्रम देश के विकास में गेम चेंजर साबित होगा।
चीन, कोरिया, जापान, और सिंगापुर की सफलता की गाथाओं का उल्लेख करते हुए अमिताभ कांत ने कहा कि समुचित ढंग से क्रियान्वयन के लिए समस्त हितधारकों का समूह बनाने की जरूरत है और इसके साथ ही निर्यात पर केन्द्रित रणनीति बनाने की भी आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि चीन, कोरिया, जापान, और सिंगापुर में बंदरगाहों की अगुवाई में देश का तेजी से विकास हुआ है। भारत की आर्थिक विकास दर को बढ़ाकर 7.6 फीसदी के स्तर पर ले जाने के लिए वैश्विक बाजारों में पैठ बनाना आवश्यक है जिसमें केवल बंदरगाह ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने इस ओर ध्यान दिलाया कि भूमि कोई चुनौती नही है और मुख्य जरूरत इस बात की है कि उपलब्ध संसाधनों का इष्टतम उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय वस्तुओं को वैश्विक बाजारों में उपलब्ध वस्तुओं के समकक्ष बनाने के लिए लॉजिस्टिक्स लागत को घटाना अत्यन्त जरूरी है और यह तभी संभव हो पाएगा जब बंदरगाह आगे चलकर विनिर्माण केन्द्रों (हब) में तब्दील हो जाएंगे। उन्होंने भारत में क्रूज पर्यटन की असीम संभावना होने की बात दोहराई और सभी तटीय राज्यों से अपील की कि वे इसे बढ़ावा देने की दिशा में ठोस कार्य करें।

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