-बाल मुकुन्द ओझा
अनाज की बर्बादी देश और दुनिया की प्रमुख समस्या बन गई है। दुनिया भर में सभी खाद्य पदार्थों का लगभग 50 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है और कभी भी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचता है। मानव उपभोग के लिए लगभग एक तिहाई भोजन विश्व स्तर पर बर्बाद हो जाता है। दुनिया में लाखों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर है या आधा पेट खाकर जीवन जीते हैं, वही कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बहुत सारा भोजन बर्बाद कर देते हैं। विकासशील देशों में सबसे अधिक अन्न सही रख-रखाव न  हो पाने के कारण भी बर्बाद हो जाता हैं जो बेहद चिंतनीय है। अन्न या भोजन की बर्बादी के प्रति हम सबको जागरूक होना चाहिए और दूसरों को भी जागरूक करना चाहिए ताकि एक सशक्त समाज और देश का निर्माण हो सके। खाद्यान होने के बावजूद गरीबों को सुलभ नहीं हो रहा है। खाने की बर्बादी को लेकर समय समय पर खबरे प्रकाशित होती रहती है। भारत भी इस ज्वलंत समस्या से अछूता नहीं है। अन्न की बर्बादी की रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है। भारतीय खाद्य निगम के देशभर में फैले गोदामों में पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान प्राकृतिक आपदाओं और रख-रखाव के कारणों से  करीब 1,693 टन अनाज बर्बाद हो गया। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार उक्त अवधि के दौरान इन गोदामों में जमा अनाज की कोई भी मात्रा चूहे सरीखे कुतरने वाले जानवरों और पंछियों की वजह से नष्ट नहीं हुई। वर्ष 2021-22 के दौरान बारिश से 48 टन, बाढ़ से 592 टन और चक्रवात से 28 टन अनाज एफसीआई के गोदामों में बर्बादी की भेंट चढ़ गया, जबकि रख-रखाव के अलग-अलग कारणों से 1,025 टन अनाज नष्ट हुआ। अनाज के इस बर्बाद भंडार में 619.49 टन गेहूं और 1,073.93 टन चावल शामिल है। जानकारी के मुताबिक इन गोदामों में 2018-19 में 5,213 टन, 2019-20 में 1,930 टन और 2020-21 में 1,850 टन अनाज प्राकृतिक आपदाओं और रख-रखाव के कारणों से नष्ट हुआ था।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने अपनी फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021 में देश और दुनिया का ध्यान भोजन की बर्बादी की ओर दिलाया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में खाने के लिये उपलब्ध भोजन का 17 प्रतिशत बर्बाद हो गया और लगभग 69 करोड़ लोगों को खाली पेट सोना पड़ा था। खाने की बर्बादी को लेकर दुनियाभर में चिंता व्यक्त की जा रही है। यही भोजन यदि गरीबों को सुलभ कराया जाये तो भूखे पेट सोने वालों की कमी आएगी। भारत भी खाना बर्बाद करने वाले देशों में शामिल है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने खाने की बर्बादी को लेकर डराने वाले आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक भारत में हर साल प्रति व्यक्ति 50 किलो खाने की बर्बादी हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा खाना लोग अपने घरों के भीतर बर्बाद करते हैं। वे जरूरत से ज्यादा खाना बनाकर फिर बचे खाने को फेंकते संकोच नहीं करते। होटलों और खाने-पीने के दूसरे स्थान भी इस कार्य में आगे है। खुदरा दुकानदार भी अनाज का ठीक से भंडारण नहीं कर
पाते और खराब होने पर उसे फेंकना पड़ जाता है।

दुनिया के हर देश और हर देशवासी को यह ध्यान देना होगा कि अन्न का एक भी दाना खराब न होने पाए। खाद्य उत्पादन को खराब करने में सबसे आगे अमीर देश हैं। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2030 तक खाने की बर्बादी को कम करने का संकल्प लिया है। भारतीय संस्कृति में अन्न को देवता का दर्जा प्राप्त है और यही कारण है कि भोजन झूठा छोड़ना या उसका अनादर करना पाप माना जाता है। मगर आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम अपना यह संस्कार भूल गए हैं। यही कारण है कि होटल-रेस्त्रां के साथ ही शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में सैकड़ों टन खाना रोज बर्बाद हो रहा है। भारत ही नहीं, समूची दुनिया का यही हाल है। एक तरफ अरबों लोग दाने-दाने को मोहताज हैं, कुपोषण के शिकार हैं, वहीं रोज लाखों टन खाना बर्बाद किया जा रहा है। खाने की बर्बादी रोकने की दिशा में महिलाएं बहुत कुछ कर सकती हैं। खासकर बच्चों में शुरू से यह आदत डालनी होगी कि उतना ही थाली में परोसें जितनी भूख हो। एक-दूसरे से बांट कर खाना भी भोजन की बर्बादी को बड़ी हद तक रोक सकता है। हमें अपनी आदतों को सुधारने की जरूरत है।

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