– सुप्रीम कोर्ट से उद्धव ठाकरे को झटका
नई दिल्ली. शिवसेना विवाद में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने पार्टी पर शिंदे गुट के दावे को लेकर चुनाव आयोग की कार्यवाही पर लगी रोक हटा दी है। अब आयोग शिवसेना के चुनाव चिह्न पर फैसला कर सकता है। यह उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि उद्धव ने इस मामले में विधायकों की योग्यता का फैसला होने तक इलेक्शन कमीशन की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी। उद्धव की याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 अगस्त को जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने केस संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर करते हुए चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जस्टिस रमना ने कहा था कि संवैधानिक बेंच यह तय करेगी कि आयोग की कार्यवाही जारी रहेगी या नहीं। इससे पहले चुनाव आयोग ने सिंबल को लेकर शिंदे गुट की याचिका पर सभी पक्षों को नोटिस भेजकर जवाब देने के लिए कहा था। शिवसेना का विवाद 20 जून से शुरू हुआ था, जब शिंदे के नेतृत्व में 20 विधायक सूरत होते हुए गुवाहाटी चले गए थे। इसके बाद शिंदे गुट ने शिवसेना के 55 में से 39 विधायक के साथ होने का दावा किया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था। पिछली सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ श‍िंदे ने कहा था क‍ि हमारे ऊपर अयोग्‍यता का आरोप गलत लगाया गया है। हम अभी भी श‍िवसैनिक हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि शिंदे गुट में जाने वाले विधायक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से तभी बच सकते हैं, अगर वो अलग हुए गुट का किसी अन्य पार्टी में विलय कर देते हैं। उन्होंने कहा था कि उनके बचाव का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के लिए मंगलवार का दिन ऐतिहासिक रहा। आज से लोग संविधान पीठ की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग देख सकेंगे। इसकी शुरुआत आज उद्धव वर्सेस शिंदे केस से हुई। उद्धव गुट की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील रखी। उन्होंने कहा, कोर्ट के 29 जुलाई के आदेश की वजह से यह सब हुआ। जब अयोग्यता का मामला पेंडिंग है, तो चुनाव आयोग सिंबल पर फैसला कैसे कर सकता है। उधर, पीठ ने कहा कि हम इस मामले को जल्द सुलझाना चाहते हैं। हाल ही में सीजेआई की अध्यक्षता में कोर्ट मीटिंग हुई थी। इसमें 27 सितंबर से सभी संविधान पीठ की सुनवाई की कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम करने का निर्णय लिया गया था। बता दें कि 27 सितंबर 2018 को भारत के तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा ने संवैधानिक महत्व के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दी थी। हालांकि यौन उत्पीड़न और वैवाहिक मामलों की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए अनुमति नहीं थी।

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