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-सरकार की कार्य प्रणाली पर हाईकोर्ट ने फिर जताई नाराजगी
जयपुर। कैदियों के कल्याण से जुडे मामले में गत दिनों अफसरों के आश्वासन देने के बाद भी जेलों में निरीक्षण के लिये नॉन ऑफिशियल विजीटर्स नहीं लगाने पर राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश गोरधन बाढ़दार की खंडपीठ ने राज्य सरकार की कार्य प्रणाली पर सख्त नाराजगी जताई है।

हाईकोर्ट ने भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड को भी आडे हाथ लेते हुए कहा है कि जेलों में 2० करोड़ रुपए के जैमर लगाने के बाद भी मोबाइल फोनों का उपयोग क्यों नहीं रुक पा रहा है। हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए भारत इलेक्ट्रानिक्स को कहा कि क्यों नहीं उनको दी गई यह राशि वापस वसूल ली जाए। मामले में अगली सुनवाई 16 मई को होगी। ज्ञातव्य है कि गृह विभाग के अफसरों ने गत सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को आश्वस्त किया था कि एक पखवाडे में एनओजी की नियुक्ति कर दी जाएगी। जेलों में आए दिन मोबाइल फोन मिल रहे हैं।

कैदी जेलों में बैठकर मोबाइल फोन के जरिए गैंग चला रहे हैं। जबकि भेल जेमर्स के लिए 2० करोड रुपए ले चुका है। भेल के वकील ने कहा कि जेमर्स की सुचारू व्यवस्था के लिए अब 5० करोड़ रुपए और चाहिए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि जब जैमर काम ही नहीं कर रहे तो क्यों नहीं उनसे 2० करोड रुपए की रिकवरी भी कर ली जाए। इसके साथ ही अदालत ने एनओवी नियुक्त करने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 16 मई को तय की है।

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