ढाका। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दु समाज पर हो रहे धार्मिक उत्पीडऩ से हालात विकट होते जा रहे हैं। हिन्दुओं के साथ हो रहे भेदभाव और उत्पीडऩ के चलते वहां से बड़ी संख्या में पलायन हो रहा है। यह बांग्लादेश और भारत दोनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। रोज 632 हिन्दु बांग्लादेश से पलायन करके भारत आ रहे हैं। अगर पलायन की यहीं रफ्तार रही तो तीस साल में ही बांग्लादेश से हिन्दु धर्मावलम्बी नहीं बचेगा। यह बांग्लादेश के जाने-माने अर्थशास्त्री ने अपने शोध के बाद कही है। बांग्लादेश के प्रमुख अंग्रेजी अखबार ढाका ट्रिब्यून के अनुसार ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अब्दुल बरकत ने कहा, पाकिस्तान बनने के बाद से ही यह पलायन चल रहा है। बरकत ने अपनी पुस्तक पॉलिटिकल इकॉनमी ऑफ रिफ ॉमिंग एग्रीकल्चर-लैंड वॉटर बॉडीज इन बांग्लादेश में कहा कि अब से 3 दशक बाद देश में कोई हिंदू नहीं बचेगा। एक अखबार ने बताया कि यह पुस्तक 19 नवंबर को प्रकाशित की गई। पुस्तक में बताया है कि 1964 से 2013 के बीच करीब 1.13 करोड़ हिंदुओं ने धार्मिक उत्पीडऩ और भेदभाव की वजह से मुस्लिम बहुल बांग्लादेश छोड़ा। प्रतिदिन औसतन 632 और सालाना 2 लाख 30 हजार 612 हिंदु बांग्लादेश छोड़कर भारत आ रहे हैं। अपने 30 साल लंबे शोध के आधार पर बरकत ने कहा कि पलायन मुख्य रूप से 1971 में स्वतंत्रता के बाद सैन्य सरकारों के कार्यकाल के दौरान हुआ। पुस्तक में बताया कि मुक्ति संग्राम से पहले पलायन की रोजाना की दर 705 थी, जबकि 1971 से 1981 के दौरान यह 512 थी और 1981 से 91 के दौरान 438 थी। 1991 से 2001 के दौरान यह संख्या बढ़कर 767 व्यक्ति प्रतिदिन हो गई जबकि 2001 से 2012 के दौरान तकरीबन 774 लोगों ने देश छोड़ा। डीयू के प्रोफेसर अजय रॉय ने कहा कि बांग्लादेश बनने से पहले पाकिस्तान के शासनकाल के दौरान हिंदुओं की संपत्ति को शत्रु संपत्ति बताकर उस पर कब्जा कर लिया और वही संपत्ति सरकार ने निहित संपत्ति के तौर पर स्वतंत्रता के बाद ले ली। इन दो कदमों की वजह से 60 फ ीसदी हिंदू भूमिहीन बन गए। बांग्लादेश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता और दंगे फसाद भी पलायन के बड़े कारण है। हिन्दुओं पर हमले के मामले बढ़ते जा रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही एक अफवाह के बाद फैले दंगों में बांग्लादेश में दर्जनों मंदिरों को तोड़ दिया और आग लगा दी। कई लोग मारे गए। पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी है। भारत विभाजन के बाद बांग्लादेश (एकीकृत पाकिस्तान) में 1947 में करीब तीस फीसदी हिन्दु आबादी थी, जो अब बारह फीसदी ही रह गई है। इसमें कमी का प्रमुख कारण जहां पलायन को बताया जा रहा है, वहीं बड़ी तादाद में धर्म-परिवर्तन को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है।

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