सादुलपुर. राजस्थान के कर्नल रमेश सिंह राठौड़ का उनके पैतृक गांव में सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े बेटे सूर्यवंश सिंह राठौड़ ने उनको मुखाग्नि दी। इस दौरान लोगों ने शहीद रमेश सिंह राठौड़ अमर रहे, भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाए। इससे पहले शहीद का पार्थिव शरीर गुरुवार शाम को दिल्ली से राजगढ़ के सिद्धमुख मोड़ पहुंचा, यहां से 20 किमी की तिरंगा यात्रा के साथ उनके पैतृक गांव घणाऊ (सादुलपुर) पहुंचा। इस दौरान रास्ते में लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। बच्चे भी हाथों में तिरंगा लिए शहीद के सम्मान में खड़े नजर आए। शाम करीब 4:30 बजे शहीद का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो गांव के लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ पड़े। शव यात्रा प्रारंभ होने से पहले रेजिमेंट के जवानों ने शहीद को कंधा देकर अंतिम यात्रा शुरू की। भारत माता की जय और शहीद रमेश सिंह राठौड़ अमर रहे के नारों के साथ शहीद की अंतिम यात्रा श्मशान घाट पहुंची। यहां आर्मी जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। जानकारी के अनुसार, चूरू जिले के निवासी कर्नल रमेश सिंह राठौड़ (49) सेना के शिलांग हेड क्वार्टर 101 एरिया में कर्नल-ए (12 आर्म्ड रेजिमेंट) के पद पर तैनात थे। मंगलवार देर शाम को ड्यूटी के बाद पैदल अपने घर लौट रहे थे। इस दौरान रास्ते में स्कॉर्पियो ने उनको टक्कर मार दी। कर्नल राठौड़ की मौके पर ही मौत हो गई। गांव में जैसे ही उनकी शहादत की खबर आई तो शोक छा गया। कर्नल का परिवार उनके साथ शिलांग में ही था, जो उनके पार्थिव शरीर के साथ ही गांव आया हैं। गांव में उनके रिश्तेदार रहते हैं। शहीद के गांव में सुबह से ही भीड़ जुटी थी। कर्नल रमेश सिंह का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह शिलांग से दिल्ली पहुंचा। इस दौरान उनके पिता कल्याण सिंह (80), पत्नी प्रियंका राठौड़ (45), बड़ा बेटा सूर्यवंश सिंह राठौड़ (18) और कीर्ति वर्धन राठौड़ साथ थे। उधर, गांव से शहीद के दोनों बड़े भाई दिल्ली पहुंचे और पार्थिव शरीर को लेकर गांव रवाना हुए थे।

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