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सरकारी भूमि पर निर्माण व नक्शा स्वीकृति देने का मामला
जयपुर। ग्राम सुदर्शनपुरा, बाइस गोदाम स्थित सरकारी भूमि पर बहुमंजिला आवासीय भवन निर्माण की स्वीकृति निरस्त करने के लिए पेश किए मुकदमे को एमएम-5, जयपुर मेट्रो मोहित व्यास ने पोषणीय नहीं मानते हुए अस्वीकार कर दिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि वादी (राजकुमार जैन (65) निवासी 63/1०7 हीरा पथ, मानसरोवर, जयपुर) ने यह स्वीकार किया है कि वाद में उसका निजी हित नहीं है। वादी को हस्तगत वाद पत्र में लोकस स्टेण्डाई प्राप्त नहीं है कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ है व सीपीसी के अधीन लोकहित वाद प्रस्तुत करने के आज्ञात्मक प्रावधानों के विपरित यह वाद पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिस कारण यह वाद विधि द्बारा वर्जित है। वादी ने अदालत में उपरोक्त वाद जयपुर नगर निगम जरिए आयुक्त, मैसर्स गीता कन्सट्रक्शन जरिए प्रो. गीता अग्रवाल निवासी जनकपुरी, नई दिल्ली एवं मैसर्स दी इण्डियन ह्यूम पाईप कंपनी लिमिटेड जरिये एमडी, मुम्बई के खिलाफ 28 अगस्त, 2०17 में दायर किया था।

जयपुर नगर निगम ने वाद का कोई जवाब नहीं दिया। गीता कन्सट्रक्शन ने 12 सितम्बर 2०17 को अर्जी पेश कर वाद निरस्त करने की मांग की। जबकि वादी के वकील शकील खान ने कोर्ट को बताया कि विवादित भूमि पर सात मंजिला ईडन हाईट नाम से निर्माण किया गया है। उपरोक्त भूमि मुम्बई की उक्त कम्पनी ने एक जून, 2००6 को गीता कन्स्ट्रक्शन को विक्रय की है। विक्रेता को उक्त भूमि 5 मई 1945 को तत्कालीन सरकार ने उद्योग लगाने के लिए आवंटित की थी। आवंटन शर्तो में भूमि को अन्तरित करने के अधिकार प्राप्त नहीं थ्ो। परिवादी ने उपरोक्त बेशकीमती भूमि को उद्योग विभाग की बताई है। मुम्बई की कम्पनी नजराना राशि देकर उपयोग-उपभोग कर सकती थी। 4 फरवरी, 1991 को किया गया विक्रय अनुबंध पत्र आम जनता और सरकार को धोखा देने की नियत से तैयार किया गया था।

बाद में 1 जून, 2००6 को कराई गई रजिस्ट के आधार पर निगम से निर्माण स्वीकृति मांगी और एक मई, 2०14 को निगम ने बिना कोई जांच पड़ताल किए नक्शा पास कर निर्माण स्वीकृति जारी कर दी। साथ ही रजिस्ट्री के आधार पर जेडीए द्बारा विवादित जमीन अवाप्त मानकर भू-अवाप्ति अधिकारी ने 2०12 में गीता कन्स्ट्रक्शन को 3,62,55,427 रुपए मुआवजा राशि का चेक जारी कर दिया। वादी ने वाद पत्र में सरकारी भूमि का दुरुपयोग होना बताया है। सरकार व आमजन को राजस्व की हानि भी हुई है। वादी ने स्वीकृति रद्द करने एवं नवनिर्माण, परिवर्तन, परिवर्धन, हस्तान्तरण व कब्जा अन्य को नहीं देने के स्थाई आदेश देने की प्रार्थना की थी।

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