mushkil se jeet pae kaaleecharan sarraaph

जयपुर। पूर्व चिकित्सा मंत्री एवं विधायक कालीचरण सराफ ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में कहा कि भाजपा सरकार द्वारा 13 दिसम्बर, 2015 से भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना का शुभारम्भ किया गया था और इस योजना में प्रदेश के लगभग 2/3 परिवारों को साधारण बीमारी में 30,000/- एवं गम्भीर बीमारी में 3,00,000/- तक का स्वास्थ्य बीमा कवर किया जा रहा था एवं 3 साल में करीब 1300 करोड़ की राशि सरकार द्वारा व्यय की गई, जिसके चलते 21 लाख मरीजों को इस योजना का लाभ मिला।

लेकिन कांग्रेस सरकार के शासन में आते ही इस योजना को अघोषित रूप से बंद कर दिया गया और जिन मरीजों का निजी अस्पताल (जो भामाशाह स्वास्थ्य योजना में नामित थे) में इलाज कराया उनका भुगतान भी रोक लिया गया। जिससे निजी अस्पतालों का भी भुगतान रूक गया। सीधे-सीधे गरीब जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में सभी सरकारी अस्पतालों के अलावा 774 निजी अस्पतालों को भी इस योजना में शामिल किया गया था। इस योजना में लगभग 1401 बीमारियाँ पंजीकृत थी, जिसमें से 663 अतिगम्भीर बीमारियाँ भी सम्मिलित थी।
निःशुल्क दवा योजना को लेकर सराफ ने कहा कि कांग्रेस ने दुष्प्रचार किया। जबकि वास्तविकता यह है कि यह योजना वर्ष 2011-12 में गत सरकार में प्रारम्भ की गई थी। उस समय गहलोत सरकार ने 691 करोड़ की दवाईयाँ क्रय की थी। जबकि भाजपा सरकार के दौरान प्रथम तीन वर्षों में 2014-2015 से 2016-2017 तक 1129 करोड़ की दवाईयाँ एवं वर्ष 2017-2018 में 424 करोड़ की दवाईयाँ भाजपा सरकार में क्रय की गई और जहाँ पिछली कांग्रेस सरकार में 16 करोड़ 19 लाख व्यक्तियों को निःशुल्क दवाईयाँ उपलब्ध कराई गई थी, वहीं भाजपा सरकार में 27 करोड़ 89 लाख मरीजों को निःशुल्क दवाऐं उपलब्ध कराकर ईलाज कराया गया।
उन्होंने कहा कि राईट-टू-हैल्थ का वादा करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन में कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी 48 दवाईयों में भी कटौती कर दी गई है। आज स्थिति यह है कि कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों से अतिरिक्त हीमोफिलीया दवाइयाँ भी अस्पतालों से गायब है और सामान्य दर्द/बुखार की डाइकोफ्लेनिक, सोडियम-पैरासिटामोल, बेहोशी की मीडाजोलाम, फंगल इंफेक्शन की एंफ्रोंटेªसीन-बी जैसी दवाईयाँ नदारद है। एक तरफ स्वास्थ्य मंत्री बड़ी-बड़ी खोखली घोषणाऐं कर रहे हैं कि कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों को निःशुल्क दवा योजना से जोड़ा जायेगा, जो सफेद झूठ साबित हो रहा है।

सराफ ने कहा कि पूरे देश में डी-वार्मिंग डे मनाया गया, परन्तु राजस्थान में इसका आयोजन इसलिये नहीं हुआ कि चिकित्सा विभाग के पास पेट के कीड़े मारने की दवाईयाँ सरकार के पास उपलब्ध ही नहीं थी। इसके कारण प्रदेश में 1 से 19 साल से अधिक तक के 80 लाख बच्चे इस महत्वपूर्ण दवाई का उपयोग करने से वंचित रह गये।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के शासनकाल में स्वाइन फ्लू जनता पर कहर बरपा रहा है और कांग्रेस सरकार की लापरवाही के कारण प्रदेश में स्वाइन फ्लू से 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में मौतों का आँकड़ा सर्वाधिक रहा है और प्रदेश के चिकित्सा मंत्री जनता के स्वास्थ्य की चिंता छोड़ पार्टी के कार्यक्रमों में व्यस्त है।

उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद प्रदेश में 65 सालों में जहाँ 7 मेडिकल काॅलेज खोले, वहीं पाँच साल के भाजपा शासनकाल में 8 मेडिकल काॅलेज स्वीकृत करवाये गये। इनमें से 5 मेडिकल काॅलेज चूरू, भीलवाड़ा, पाली, डूंगरपुर और भरतपुर में 01 जुलाई, 2018 से प्रारम्भ हो गये है और बाकी के 3 मेडिकल काॅलेज सीकर, बाड़मेर और जोधपुर में 01 जनवरी, 2019 को प्रारम्भ होने थे, लेकिन वर्तमान कांग्रेस सरकार की अनदेखी के कारण 01 जुलाई, 2019 को शुरू होने वाले नये सत्र में भी शंका प्रतीत हो रही है।

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