GST rates
जीएसटी से जुड़े अनुभव : अरुण जेटली

नयी दिल्ली : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने आज पुराने वाहनों, कन्फेक्शनरी और बायोडीजल सहित 29 वस्तुओं पर कर की दर घटाने का फैसला किया। वहीं साथ ही परिषद ने जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल करने पर विचार विमर्श किया ताकि छोटी इकाइयों पर अनुपालन का बोझ कम हो सके। इसके अलावा कुछ जॉब वर्क्स, दर्जी की सेवाएं और थीम पार्क में प्रवेश सहित 54 श्रेणी की सेवाओं पर जीएसटी की दर घटाई गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद की यहां हुई 25वीं बैठक में 29 उत्पादों और 54 श्रेणियों की सेवाओं पर कर की दरें घटाने का फैसले किया गया। जीएसटी परिषद में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि परिषद की अगली बैठक में कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन एटीएफ और रीयल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है। जीएसटी परिषद ने सेकेंड हैंड या पुरानी मध्यम और बड़ी कारों तथा एसयूवी पर जीएसटी की दर को 28 से घटाकर 18 प्रतिशत किया है। वहीं अन्य पुराने और सेकेंड हैंड वाहनों पर कर की दर को घटाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला किया गया। हीरों और कीमती रत्न पर कर की दर को मौजूदा तीन प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया गया है। वहीं जैव डीजल या बायोडीजल पर कर की दर 18 से घटाकर 12 प्रतिशत की गई है। वहीं पर्यावरणनुकूल जैव ईंधन पर चलने वाली सार्वजनिक परिवहन की बसो के लिए इसे 28 से घटाकर 18 प्रतिशत किया गया है।

सिंचाई के उपकरणों, शुगर बायल्ड कनफेक्शनरी, 20 लीटर की पानी की बोतल, उर्वरक ग्रेड फॉस्फोरिक एसिड, मेहंदी का कोन में आने वाला पेस्ट, निजी वितरकों कोआपूर्ति की जाने वाली एलपीजी, स्ट्रा का सामान, वेल्वेट फ्रैब्रिक और धान की भूसी पर भी कर की दरें घटाई गई है। नई दरें 25 जनवरी से प्रभावी होंगी। सूत्रों ने कहा कि 29 वस्तुओं और सेवाओं पर कर में कटौती से करीब एक हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। इन्फोसिस के गैर कार्यकारी चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया के सरलीकरण पर प्रस्तुतीकरण दिया। वित्त मंत्री अनुपालन के बोझ को कम करने के लिए परिषद ने इस विचार पर चर्चा की कि पंजीकृत इकाइयां जीएसटीआर 3 बी फॉर्म में जीएसटी रिटर्न दाखिल करना जारी रखें। वहीं इसके साथ ऐसी प्रणाली की ओर बढ़ा जाए जिसमें आपूर्तिकर्ता के इन्वॉयस मे लेनदेन का ब्योरा आ जाए।

जेटली ने कहा कि इस बारे में राज्यों को लिखित में जानकारी भेजने के बाद नई प्रक्रिया को जीएसटी परिषद की अगली बैठक में अंतिम रूप दिया जा सकता है। जीएसटी परिषद की अगली बैठक की तारीख अभी तय नहीं की गई है। वित्त मंत्री ने बताया कि ट्रांसपोर्टरों को राज्यों के बीच 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के सामान या माल की आपूर्ति के लिए अपने साथ इलेक्ट्रानिक वे बिल या ई-वे बिल रखना होगा। यह व्यवस्था एक फरवरी से क्रियान्वित की जा रही है। इससे कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि 15 राज्यों ने राज्य में वस्तुओं की आवाजाही के लिए ई-वे बिल प्रणाली को लागू करने का फैसला किया है।

जीएसटी को पिछले साल एक जुलाई से लागू किया गया था, लेकिन ई-वे बिल के प्रावधान को आईटी नेटवर्क की तैयारियां पूरी नहीं होने की वजह से टाल दिया गया था। एक बार ई-वे बिल प्रणाली लागू होने के बाद कर अपवंचना काफी मुश्किल हो जाएगी क्योंकि सरकार के पास 50,000 रुपये से अधिक के सभी सामान की आवाजाही का ब्योरा होगा। यदि आपूर्तिकर्ता या फिर खरीदार में से कोई एक भी रिटर्न दाखिल नहीं करता है, तो इस अंतर को पकड़ा जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि जीएसटी से राजस्व संग्रह लगातार घट रहा है। जुलाई में जीएसटी संग्रह 95,000 करोड़ रुपये रहा था, जो नवंबर में घटकर 81,000 करोड़ रुपये पर आ गया।

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