– ताइवान के समुद्री तट के पास 11 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं
बीजिंग. चीन और ताइवान के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान से लौटते ही चीन और एग्रेसिव हो गया है। गुरुवार से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने ताइवान के ईदगिर्द 6 इलाकों में सैन्य अभ्यास शुरू किया है। इस बीच ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने ताइवान के उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिमी तट के पास 11 डोंगफेंग बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं। ताइवान ने कहा है कि हम जंग नहीं चाहते लेकिन इसके लिए तैयार रहेंगे। ताइवान आने-जाने वाली करीब 50 इंटरनेशनल फ्लाइट्स को कैंसिल कर दिया गया है।
इधर, चीन की ओर से दागी गई 5 बैलिस्टिक मिसाइलें जापान के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन में गिरी हैं। जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है। उन्होंने डिप्लोमौटिक चैनल के जरिए इस घटना का विरोध दर्ज कराया है। चीन ने इस मिलिट्री एक्सरसाइज को ‘लाइव फायरिंग’ नाम दिया है। चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक, यह मिलिट्री ड्रिल ताइवानी तट से सिर्फ 16 किमी दूर की जा रही है। इसमें असली हथियारों और गोला-बारूद का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक्सरसाइज 7 अगस्त तक चलेगी। चीन पहले यह ड्रिल ताइवान से करीब 100 किमी दूर करता था। लेकिन नैंसी के दौरे के बाद अब बेहद नजदीक पहुंच गया है। ईस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता सीनियर कर्नल शी यी ने कहा- लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों की टेस्टिंग की जाएगी। मिसाइल का भी टेस्ट होगा।
-अजरबैजान ने आर्मेनिया पर हमला किया
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवादित क्षेत्र नागोर्नो-कारबाख को लेकर एक बार फिर से युद्ध शुरू हो गया। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, 3 अगस्त को अजरबैजान ने कारबाख में बम बरसा दिए जिसमें 3 सैनिकों की मौत हो गई। अर्मेनिया ने कहा कि अजरबैजान ने इस क्षेत्र के कई इलाकों पर भी कब्जा कर लिया है। इसे लेकर रूस ने भी अजरबैजान पर सीजफायर तोड़ने का आरोप लगाया है। हालांकि, अजरबैजान ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। सेना ने कहा आर्मेनिया ने पहले हमला किया और हमारे एक जवान को मार दिया। हमने जवाबी कार्रवाई की। नवंबर 2020 में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच एक शांति समझौते करवाया था। 2020 में दोनों देशों के बीच लगभग 6 महीने तक खूनी संघर्ष चला था। इस दौरान 6,500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद रूस के कहने पर दोनों देशों ने शांति समझौते पर साइन किए थे।

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