विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन पहुंची जेएलएफ, कहा तुरंत लागू हो यूनिफॉर्म सिविल कोड

जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन सोमवार को विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन के आने से विवादों को और हवा मिल गई। तस्लीमा नसरीन ने भी अपने बिंदास और चिर-परिचित अंदाज में फिर से विवादित बयान देने से गुरेज नहीं की। तस्लीमा के जेएलएफ में पहुंचने की खबर सुनवकर कुछ मुस्लिम संगठनों के कार्यकर्ता भी वहां पहुंचे, लेकिन तब तक तस्लीमा वहां से जा चुकी थी और पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया। बड़ी संख्या में दर्शक भी तस्लीमा नसरीन को सुनने के लिए पहुंचे। विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने देश में विवादों में चल रहे समान नागरिक संहिता पर बोलते हुए इसे तुरंत लागू करने की सलाह दे दी। तस्लीमा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उसके खिलाफ फ तवा जारी करने वाले उनके दोस्त हैं। तस्लीमा ने कहा कि मुझे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन में भरोसा है। जब मैं बौद्ध व हिंदुत्व का विरोध करती हूं तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन जब इस्लाम को क्रिटिसाइज करती हूं तो मुझे मारने की धमकी मिलती है। मारने के लिए गैर कानूनी फ तवा जारी कर दिए जाते हैं। बंगाल में जिसने फतवा जारी किया वो बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और मौजूदा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मित्र है। ऐसे में देश में सेक्युलरिज्म कहां है? बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं को पूरे अधिकार नहीं मिलते हैं। लेकिन हिंदुस्तान में हिंदू महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया गया है। फि र भारत में मुस्लिम महिलाओं को बराबर का हक नहीं दिया जा रहा। वे उनके लिए डेमोक्रेसी की बात क्यों नहीं करते। इस्लाम को मानने वाले और इस्लामिक देश जब तक खुद के लिए आलोचना नहीं सुनेंगे, तब तक वे धर्मनिपेज़्क्ष नहीं हो सकते। तस्लीमा ने यह भी कहा कि हर धर्म में महिलाओं को बराबरी की बात नहीं है और ना ही धर्म उनके अधिकार की बात नहीं करता। सेक्युलर लेखकों की हत्या नहीं होनी चाहिए। इनटॉलरेंस हर सेक्टर में है। चाहे वह घरेलू हिंसा हो या महिलाओं पर अत्याचार। मैं राष्ट्रवाद में भरोसा नहीं करती, बल्कि वन वल्र्ड और वन पासपोर्ट में भरोसा करती हूं। जेएलएफ के बाहर मुस्लिम संगठनों के विरोध को लेकर तस्लीमा ने कहा कि ऐसी विवादित लेखिका को साहित्य उत्सव में बुलाने की आवश्यकता क्या थी।
हालांकि विरोध को देखते हुए आयोजकों ने अंत तक तस्लीमा के सेशन को छिपाए रखा। अचानक ही एक सेशन में उन्हें मंच पर बोलने का मौका दिया। उनका सैशन होगा भी या नहीं, उस बारे में भी आयोजकों ने किसी को सूचना नहीं दी थी। हालांकि शायद पुलिस-प्रशासन को इसकी सूचना थी, इसलिए विरोध प्रदर्शन को देखते हुए वहां बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात था। गौरतलब है कि तस्लीमा नसरीन की पुस्तक लज्जा काफी विवादित रही है। इस पुस्तक में इस्लाम विरोधी टिप्पणियों के चलते बांग्लादेश, पाकिस्तान समेत अन्य मुस्लिम देशों में काफी विवाद रहा। जान से मारने के फतवे जारी हुए। हमले भी हुए। बांग्लादेश से भागकर तस्लीमा हिन्दुस्तान में रह रही है। यहां भी कई बार तस्लीमा को विरोध झेलना पड़ा। पुस्तक प्रतिबंधित भी की गई।

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