जयपुर। उपभोक्ता मामलात की कोर्ट ने झूंठा साक्ष्य पेश करने को गंभीर मानते हुए बीएसएनएल के प्रभारी अधिकारी के.सी. बुनकर पर दस हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने झूठा शपथ पत्र पेश करने को मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत करने की श्रेणी में मानते हुए उपभोक्ता का परिवाद स्वीकार करते हुए यह हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा-340 के अन्तर्गत अधिकारी को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों नहीं उनके विरुद्ध उचित कानूनी कार्यवाही की जाए। भृगु पथ मानसरोवर निवासी दिलीप कुमार पुंगलिया ने कोर्ट में परिवाद लगाया था कि विपक्षी बीएसएनएल से उसने 750 रुपए प्रति माह में अनलिमिटेड ब्रॉड बैण्ड इन्टरनेट सुविधा ले रखी थी। एक महीने बाद बिल आया तो ब्रॉड बैण्ड सुविधा के 7836 रुपए, सरचार्ज राशि 1025 व 179 करीब 9319 रुपए का बिल थमा दिया, जबकि उसने 750 रुपए में अनलिमिटेड प्लान ले रखा था। शिकायतें की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। बीएसएनएल का जवाब था कि परिवादी ने पहले एच 250 प्लान ले रखा था और बाद में एच-750 करवाया जो एक अगस्त, 2008 से लागू हुआ। समर्थन में प्रभारी अधिकारी के.सी. बुनकर का शपथ पत्र प्रस्तुत किया। जबकि परिवादी का कहना था कि उपरोक्त आवेदन 15 जुलाई, 2008 को ही कर दिया था, जबकि विपक्षी ने जवाब व शपथ पत्र में आवेदन 31 जुलाई को प्रस्तुत करना बताया और एक अगस्त से प्लान बदला गया। यह झूंठ कोर्ट ने प्रस्तुत हुए रिकार्ड से पकड़ लिया और अधिकारी को नोटिस जारी किया। साथ ही अधिक राशि भी वसूल नहीं करने के आदेश दिए। मंच ने 10 हजार का हर्जाना भी लगाया।

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