डूंगरपुर।  आदिम संस्कृति और शिल्प वैशिष्ट्य की धरा डूंगरपुर जिले में कला व संस्कृति को बचाने के साथ-साथ सदियों पुरानी नैसर्गिक विरासत को सहेजने और संरक्षित करने की अनूठी मुहिम प्रारंभ की जा रही है। इस मुहिम के तहत  जिलेभर में होने वाली ग्राम सभाओं में ग्रामवासी अपने-अपने गांव के सबसे पुराने पेड़ को ‘मदर ट्रीÓ (जननी वृक्ष) घोषित करते हुए उसके संरक्षण का संकल्प लेंगे। अपनी तरह के इस अनोखे व अपूर्व अभियान के सूत्रधार बने है कला-संस्कृति व पर्यावरण प्रेमी जिला कलक्टर सुरेन्द्र कुमार सोलंकी। कलक्टर सोलंकी ने बताया कि वर्तमान युग में पर्यावरण प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से निपटने की चुनौती को स्वीकार करते हुए पूरे विश्व में पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का कार्य लम्बे समय से किया जा रहा है परन्तु पौधारोपण के साथ-साथ पेड़ों की सुरक्षा और इसकी सार संभाल भी आवश्यक है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर जन-जागरण करते हुए आमजन के मन में पेड़ों की महत्ता को स्थापित करने के लिए नवाचार के रूप में डूंगरपुर जिले के निवासियों से दीर्घ आयु वाले पुराने जीवित पेड़ को ‘मदर ट्रीÓ के रूप में घोषित कर उसके प्रति सम्मान व्यक्त किये जाने की योजना तैयार की गई है। इस योजना के अन्तर्गत सभी नगरीय निकाय व ग्राम पंचायत स्तर पर उनके क्षेत्रों में स्थित वयोवृद्ध वृक्ष को ‘मदर ट्रीÓ घोषित करने के सम्बन्ध में विचार कर संकल्प पारित करने का कार्य किया जावेगा।

गांधी जयंती पर ग्राम सभाओं में हुआ चयन

कलक्टर सोलंकी ने बताया कि 2 अक्टूबर को जिले की समस्त ग्राम पंचायतों में ग्राम सभाओं का आयोजन प्रस्तावित है और इन ग्राम सभाओं के एजेंडा में ‘मदर ट्रीÓ के चयन और इसके सम्मान के लिए जिला परिषद के सीईओ और समस्त विकास अधिकारियों को निर्देशित किया गया था कि इन ग्राम सभाओं में समस्त ग्रामीणों को इस नवाचार की जानकारी देेते हुए पेड़ों के संरक्षण का आह्वान किया जाए व ‘मदर ट्रीÓ का चयन कर संरक्षण की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। ‘मदर ट्रीÓ के चयन में पेड़ की प्रजाति का भी विशेष ध्यान रखा जाए। इन पेड़ों में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद, राज्य वृक्ष खेजड़ी तथा पीपल, आम, महुआ, नीम,सेमल, गुलर, मोलश्री, रायणी, अजुज़्न, इमली, कल्पवृक्ष आदि पवित्र माने जाने वाले, फलदार और चौपालों पर स्थित पेड़ों का ही चयन किया जाए।

‘मदर ट्रीÓ के लिए यह व्यवस्थाएं

चयन उपरांत ‘मदर ट्रीÓ के पास सूचना पट्ट लगाते हुए पंचायत अथवा नगर निकाय के प्रस्ताव की क्रम संख्या व दिनांक का उल्लेख करते हुए ‘मदर ट्रीÓ घोषित करने बाबत सूचना दी जावेगी। ‘मदर ट्रीÓ के आसपास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जावेगा एवं वृक्ष की जड़ों में कचरा एवं अपशिष्ट डाले जाने पर पाबंदी होगी। इसी प्रकार वृक्ष को काटने, तोडऩे, छांटने अथवा नुकसान पहुंचाने पर पाबंदी होगी। चयनित मदर ट्री की सूची जिला कलक्टर को भेजनी होगी और इस सूचना को ग्राम पंचायत के अटल सेवा केन्द्र की दीवार पर भी लिखवाया जाएगा। इसी प्रकार जिला सूचना विज्ञान केन्द्र द्वारा चयनित मदर ट्री की सूची को जिले की वेबसाईट पर भी प्रदर्शित किया जाएगा।

संरक्षण के लिए बनेगा चबूतरा

‘मदर ट्रीÓ को संरक्षित करने के लिए इसके चारों तरफ  कच्ची चुनाई करते हुए चबूतरा बनाकर सुरक्षा के प्रयास करने को कहा गया है और बताया गया है कि यह भी ध्यान रखा जाए कि चबूतरे के उपर का फर्श कच्चा ही रहे तथा इस पर गोबर से लिपाई-पुताई की जावे। चबूतरे के आसपास साफ-सफाई भी की जावे ताकि लोग इस पेड़ की छाया में बैठ सके।

‘मदर ट्रीÓ के नीचे होगी अभिव्यक्ति

कलक्टर ने बताया कि चयनित मदर ट्री को प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून), विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रेल), विश्व वानिकी दिवस (21 मार्च) आदि दिवसों पर जीवनदायी वृक्षों के सम्मान स्वरूप आभार व्यक्त करने का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और इस दौरान पेड़ पर जनजाति अंचल की परंपरा के अनुसार केसर छांटा करते हुए इनका पूजन किया जाएगा। इस मौेके पर इसके नीचे चौपाल का आयोजन करते हुए इसी प्रकार के अन्य वृक्षों के संरक्षण की कार्यवाही भी की जाएगी।

जिलेभर में यह है स्थिति

वृक्षों के मामले में जिलेभर में सदियों पुराने पेड़ अवस्थित है और अभी भी ये पेड़ जनश्रृद्धा के केन्द्र बने हुए हैं। डूंगरपुर शहर मुख्यालय पर ही सर्वाधिक पुराने पेड़ों में फौज का बड़ला स्थित वट वृक्ष के साथ ही महारावल उच्च माध्यमिक विद्यालय व हड़मत पोल के पास स्थित वट वृक्ष, गेपसागर की पाल, नवामहादेव के पास स्थित पीपल, कोतवाली से नवाडेरा रोड़ पर स्थित कल्पवृक्ष सहित जिले के सभी गांवों में हजारों की संख्या में पांच सौ से सात सौ वर्ष पुराने पेड़ है जिन्हें इस पहल के बाद ‘मदर ट्रीÓ घोषित करते हुए अन्य वृक्षों के संरक्षण के लिए रोडमेप तैयार किया जाएगा।

 

 

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