जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार की तानाशाही के चलते जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के सुनहरे इतिहास में कल सिंडीकेट के फैसले से एक काला अध्याय जुड़ गया है। शिक्षक भर्ती प्रकरण हाईकोर्ट में सब ज्युडिश है, फिर भी सिंडीकेट ने 34 टीचर्स के खिलाफ फैसला किया है। पिछली कांग्रेस सरकार को बदनाम करने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह तानाशाही पर उतारू है। गहलोत ने शुक्रवार को जोधपुर में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर कार्यालय के प्रांगण में धरना दे रहे शिक्षकों के बीच मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश का व्यापम् घोटाला आज देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है, इस प्रकरण से जुड़े कई लोगांे की हत्याएं हुई हैं। राज्य की भाजपा सरकार की मंशा है कि ऐसा ही माहौल जोधपुर विश्वविद्यालय में भी बने ताकि पूरे मुल्क में यह संदेश जाये कि ऐसे घोटाले भाजपा शासित राज्य में ही नहीं, कांग्रेस के राज में भी हुए हैं। गहलोत ने कहा कि सिंडीकेट में ना तो शिक्षकों के चुने हुए प्रतिनिधि थे और ना ही सरकार द्वारा मनोनीत विधायक या सांसद थे, चाहे वो बीजेपी के ही होते। वो भी जनप्रतिनिधि के नाते अपनी सही बात रखते। विश्वविद्यालय की भर्तियों में पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई, राज्यपाल जो विश्वविद्यालय के चांसलर है उन्होंने आॅर्डिनेंस जारी किया, उसी के अंतर्गत सबके चयन हुए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का और खुद मुख्यमंत्री का टारगेट है कि पिछली कांग्रेस सरकार के फैसलों को किस प्रकार बरबाद किया जाये, चाहे वो रिफाइनरी का हो, मेट्रो का हो, ब्राॅडगेज का हो, परवन नदी पर बांध का हो या भीलवाड़ा में कोच फैक्ट्री का।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, जिनको राज्य की जनता ने इतना भारी बहुमत दिया, वो इतने बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स को रोक सकती है तो समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री की किस प्रकार की नकारात्मक सोच है। मुख्यमंत्री यदि सकारात्मक सोच रखती तो आज राजस्थान के ये हालात नहीं होते। गहलोत ने कहा कि रिफाइनरी में चालीस हजार करोड़ बचाने का जो भ्रम फैलाया जा रहा है, उसकी सच्चाई यह है कि कांग्रेस सरकार के एमओयू में स्पष्ट था कि बाड़मेर में तब 4.5 मिलियन टन तेल निकल रहा था तथा 4.5 मिलियन टन इम्पोर्ट करना पड़ता। इसमें शर्त लगाई गई थी कि बाड़मेर में उत्पादन ज्यादा होने, इम्पोर्ट नहीं करने पर ब्याज मुक्त ऋण स्वतः ही कम हो जायेगा। चूंकि अब उत्पादन 9.1 मिलियन टन हो गया है तो इसी अनुपात में ब्याज मुक्त ऋण कम हो जाता। मुख्यमंत्री इस मामले में अर्द्ध-सत्य बोलकर भ्रमित कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि देश और दुनिया में विश्वविद्यालयों को इसलिए स्वायत्तता दी गई थी कि वहां किसी प्रकार का सरकारी हस्तक्षेप नहीं हो। जो वाईस चांसलर बनते हैं उनको यह बात अपने जहन में रखनी चाहिए कि चाहे कितना ही दबाव पड़े, उन्हें इस्तीफा देना मंजूर हो मगर अपने छात्रों एवं अपने टीचर्स के हितों की वो रक्षा करेंगे। मेरा मानना है कि वाईस चांसलर यहां फेल हो गये। गहलोत ने कहा कि पिछली सरकार के फैसलों से राजस्थान का विकास तेज गति से होता, कोई कल्पना नहीं कर सकता कि पेट्रो केमिकल की कितनी यूनिटें लगती, लाखों लोगों को रोजगार मिलता। भाजपा 15 लाख नौकरियां देने का वादा कर सत्ता में आ गई थी, वो नौकरियां कहां है। जिन्हें नौकरियां मिली हुई थी, वे शिक्षक धरने पर बैठे हुए हैं।

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