नई दिल्ली। कालेधन को सफेद करने वाले बैंककर्मियों, व्यापारी और हवाला कारोबारियों पर केन्द्र सरकार और खुफिया विभाग पैनी निगाहें रखी हुई है। इस तरह के गैरकानूनी कार्य में लिप्त लोगों और अफसरों की मिलीभगत कृत्यों को कैमरे में भी कैद किया गया है। इसके आधार पर ही दोषी लोगों पर सरकार कानूनी कार्रवाई करेगी। केन्द्र सरकार के इशारे पर बैंकों और दूसरे स्थानों (जहां ये गोरखधंधे हो रहे थे)से वीडियो रिकॉर्डिंग मंगवाकर और स्टिंग करवाकर ऐसे लोगों का डाटा तैयार करवाया है। सरकार स्टिंग सीड तैयार करवा चुकी है। इसकी रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भी दी जा चुकी है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, खुफिया सूचना तंत्र के माध्यम से करीब एक हजार बड़े बैंकों का स्टिंग किया गया था। इसमें करीब आधे बैंक और उनके अधिकारी व कर्मचारी व्यापारी और हवाला कारोबारी की मिलीभगत से करोड़ों के कालेधन को सफेद करने की कोशिश करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात में हुई एक रैली के दौरान संकेत दिया था कि सरकार बैंकवालों पर तीसरी आंख से नजर रख रही है। दरअसल नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार को ऐसी उम्मीद थी कि बड़े पैमाने पर कालाधान सामने आएगा। लेकिन ऐसा आरोप लगा कि बैंककर्मियों की मदद से बहुत सारे कालेधन को सफेद किया गया। ऐसे में सरकार को शुरुआत में ही झटका लगा और उसे बीच में ही दोबारा डिस्क्लोजर स्कीम लानी पड़ी। जिससे लोग पचास फ ीसदी टैक्स के काले धन को सफेद करा सकें। आम लोगों को जहां तय सीमा के तहत भी नये नोट के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है, वहीं करोड़ों के नये नोट गलत तरीके से हवाला कारोबारियों तक पहुंच गये जिससे कि सरकार की किरकिरी हुई। सूत्रों के अनुसार पीएमओ को स्टिंग के अहम बिंदुओं और विस्तृत रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में डालने को कहा है। नोटबंदी की सफ लता मोदी सकरार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। सरकार ने 50 दिनों के भीरत हालात सामान्य होने का वादा तो किया है लेकिन हकीकत है कि 34 दिन बीत जाने के बाद भी हालात में बहुत सुधार होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकारात्मक संदेश देना चाहेगी।

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