नई दिल्ली. मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में असम का एक शिष्टमंडल सप्ताह के अंत में नई दिल्ली में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिला। शिष्टमंडल में असम सरकार में वरिष्ठ मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा तथा राज्य के अन्य भाजपा नेता थे। इन नेताओं ने राजनाथ सिंह के साथ असम की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान और विरासत तथा असम समझौते के खंड-6 के क्रियान्वयन और 6 समुदायों को जनजातीय दर्जा प्रदान करने से संबंधित विषयों पर बातचीत की।
बोड़ोलैंड प्रादेशिक परिषद के प्रमुख हेगरामा मुहिलैरी, राज्य सरकार में बीपीएफ की ओर से मंत्री चंदन ब्रहमा तथा संसद सदस्य बिस्वाजीत डाइमेरी सहित बोडो समूहों के अनेक प्रतिनिधियों ने भी गृहमंत्री से सप्ताह के अंत में मुलाकात की और बोड़ो समुदाय की विभिन्न मांगों पर चर्चा की। केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि गत 8 जनवरी को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक प्रस्तुत करते समय उन्होंने पूरी तरह स्पष्ट कर दिया था कि यह विधेयक किसी एक देश विशेष से आने वाले 6 अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों के लिए नहीं है। यह उन व्यक्तियों के लिए भी नहीं है जो एक राज्य विशेष में रह रहे हैं। साथ-साथ श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि तथ्य यह है कि असम पर अनुपात से अधिक प्रवासी लोगों को बोझ है और इसका कारण पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा है कि इसलिए उन्होंने स्पष्ट किया था कि केवल असम ही यह बोझ न उठाये। यह पूरे देश की जिम्मेदारी है और बोझ भी पूरे देश द्वारा उठाया जाना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हम पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण बाध्य होकर भारत आने वाले 6 अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को मदद के लिए संकल्पबद्ध हैं। संशोधित नागरिकता अधिनियम के अंतगर्त जो लोग नागरिकता के लिए योग्यता रखते हैं उन्हें राज्य में कहीं भी रहने और बसने की आजादी होगी।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि सरकार असम समझौता के खंड 6 को लागू करने के लिए उपाय सुझाने के बारे में बनाई गई उच्चाधिकार समिति की सिफारिशों की आशा करती है। उन्होंने कहा कि असम की सांस्कृतिक, भाषाई पहचान के संरक्षण की दिशा में उच्च स्तरीय समिति का गठन ऐतिहासिक कदम है। इस समिति के अधिकार व्यापक है। उन्होंने असम तथा असमिया लोगों के हितों को ह्दय से चाहने वालों लोगों से इस ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाने का आग्रह किया। केन्द्रीय गृहमंत्री ने 6 समुदायों को जनजातीय दर्जा देने के बारे में बोड़ो नेताओं को आश्वासन दिया कि यह निर्णय तभी लागू किया जाएगा जब असम की वर्तमान जनजातियों के राजनीतिक तथा रोजगार संबंधित विशेषाधिकारों और अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित होगा। सभी हितधारकों के साथ विचार विमर्श के बाद राज्य सरकारों द्वारा आवश्यक तौर तरीके बनाये जाएंगे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के बारे में गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं। गृहमंत्री ने 8 जनवरी को लोकसभा में अपने बयान में तथा फिर 9 जनवरी को राज्यसभा में वक्तव्य में कहा था कि सरकार असम तथा पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की सांस्कृति और भाषाई पहचान तथा विरासत के संरक्षण के लिए पूरी तरह संकल्पबद्ध है। केन्द्रीय गृहमंत्री शीघ्र संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएंगे। इस बैठक में राज्यों के हितों तथा उनकी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के संरक्षण के उपायों पर चर्चा की जाएगी।