जयपुर. राजस्थान में अगले साल होने वाले पंचायतीराज और शहरी निकाय चुनावों में सरकार ने शैक्षणिक योग्यता लागू करने की तैयारी कर ली है। अनपढ़ों को पार्षद, सरपंच, मेयर, सभापति, नगरपालिका अध्यक्ष, प्रमुख, प्रधान, जिला परिषद मेंबर, पंचायत समिति मेंबर चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराने की तैयारी है। यूडीएच मंत्री ने शहरी निकाय चुनाव और पंचायतीराज मंत्री ने चुनावों में शैक्षणिक योग्यता लागू करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास मंजूरी के लिए भेजा है। प्रस्तावों में सरपंच के लिए कम से कम 10वीं पास होने की अनिवार्यता लागू करने का प्रस्ताव दिया है। पार्षदों के लिए 10वीं और 12वीं में से एक योग्यता लागू करने का प्रस्ताव है। पंचायतीराज और निकाय चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता लागू करने के लिए पंचायतीराज एक्ट और नगरपालिका कानून में संशोधन करने होंगे। मुख्यमंत्री स्तर से मंजूरी मिलने के बाद दो अलग-अलग बिल लाए जाएंगे। विधानसभा के बजट सत्र में दोनों बिलों को पारित कर कानून में संशोधन करवाया जा सकता है। 2015 में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के समय पंचायतीराज और शहरी निकाय चुनावों में शैक्षणिक योग्यता लागू की थी। 2015 में चुनाव से ठीक पहले फैसला किया था। उस वक्त कैबिनेट से भी सर्कुलेशन से मंजूरी ली थी ताकि मामला गोपनीय रहे। वसुंधरा राजे सरकार के वक्त किए फैसले में वार्ड पंच अनपढ़ हो सकता था लेकिन सरपंच का आठवीं पास होना जरूरी था। आदिवासी इलाके (टीएसपी एरिया) में सरपंच के लिए पांचवीं पास होना अनिवार्य किया था। पंचायत समिति मेंबर और जिला परिषद मेंबर के लिए 10वीं पास की योग्यता लागू की गई थी। पार्षद और निकाय प्रमुखों के लिए 10वीं पास की योग्यता की थी। निकाय और पंचायतीराज चुनावों में शैक्षणिक योग्यता लागू करने का कांग्रेस ने भारी विरोध किया था। कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था। 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद 2019 में इस प्रावधान को हटा दिया गया। पंचायतीराज चुनावों में शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान लागू करने का बीजेपी को गांवों में फायदा हुआ था। कांग्रेस की तुलना में बीजेपी से ज्यादा संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि जीतकर आए थे। अब फिर बीजेपी के एक धड़े ने ही फिर से इसकी पैरवी की जिसके बाद प्रस्ताव तैयार कर सीएम को भेजा गया है।
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