नई दिल्ली। अमरीका की खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (सीआईए) के हाल ही सार्वजनिक किए गए गोपनीय दस्तावेजों में भारत से जुड़े की चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। इन दस्तावेज से एक नया तथ्य यह सामने आया है कि आजादी के बाद भारत के तत्कालीन सेना प्रमुख फील्ड मार्शल के.एम.करियप्पा की हत्या की साजिश रची गई थी, लेकिन यह कोशिश नाकाम रही। दस्तावेज में यह भी खुलाया किया गया है कि इस कोशिश में लिप्त रहे छह जनों को फांसी दी गई थी। अमरीकी गोपनीयता कानून के तहत सीआईए एक तय समय के बाद ऐतिहसाकि महत्व के गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक करती है। इस बार करीब एक करोड़ ऐसे दस्तावेज सार्वजनिक किए गए हैं। इसमें भारत समेत पूरे दुनिया से जुड़े हुए दस्तावेज हैं। इन दस्तावेज में इंदिरा गांधी व राजीव गांधी की हत्या, इमरजैंसी जैसी घटनाओं के बारे में भी दस्तावेज शामिल है। सीआईए दस्तावेज के मुताबिक करियप्पा आजादी के भारतीय सेना के पहले भारतीय सैन्य प्रमुख थे और 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश सैन्य अफसर जनरल रॉय बुचर से भारतीय सेना प्रमुख की कमान ली थी। 1950 में करियप्पा को जाने से मारने की कोशिश की गयी थी। भारतीय सेना के पहले भारतीय सैन्य प्रमुख करियप्पा ने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश सैन्य अफसर जनरल रॉय बुचर से भारतीय सेना प्रमुख की कमान ली थी। पूर्वी पंजाब के दौरे के वक्त उनकी हत्या की कोशिश की गयी थी, लेकिन इस साजिश को अंजाम नहीं दिया जा सका था। यह रिपोर्ट सीआईए के दस्तावेज में 12 जून 1950 को दर्ज की गई थी। इस दस्तावेज के सार्वजनिक होने से यह घटना सामने आ पाई है। यह भी दस्तावेज में है कि इस साजिश में लिप्त रहे छह लोगों को मौत की सजा दी थी। दस्तावेज में यह भी अंदेशा जताया था कि इस साजिश में तब सेना के कई बड़े सैन्य अफ सरों की शह थी, लेकिन वे कौन थे, यह इसमें नहीं है। जनरल करियप्पा दक्षिण भारतीय थे, जिसके चलते एक वर्ग ऐसा था, जो उनसे नाखुश था। वे करियप्पा को हटाना चाहते थे। इस कार्य में एक संगठन का नाम भी सीआईए के दस्तावेज में है, जो इस साजिश में लिप्त अफसरों को सहयोग कर रहा था। हालांकि सीआईए के दस्तावेज से सामने यह जानकारी कितनी सही है, इस बारे में भारतीय सेना या केन्द्र सरकार ही ज्यादा कह सकती है। वैसे सीआईए के दस्तावेज काफी विश्वनीय माने जाते हैं।

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