नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ 10 करोड़ रुपए के दूसरे मानहानि मामले में मुख्यमंत्री के लिखित बयान के जवाब में दायर अरुण जेटली के उत्तर को निरस्त करने संबंधी मुख्यमंत्री की याचिका को आज खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि प्रत्युत्तर में कही गई बातें या केजरीवाल के लिखित बयान को लेकर जेटली के उत्तर ने महत्वपूर्ण मामले पर केंद्रीय मंत्री के दृष्टिकोण को ‘‘स्पष्ट’’ किया है और यह उत्तर इस मामले में प्रासंगिक है।
अदालत ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने अपने प्रत्युत्तर में जो बातें कही हैं, वे ‘‘असंगत नहीं हैं, ये बातें ऐसी नहीं हैं जिनपर गंभीरता से विचार नहीं किया जा सकता और न ही ये कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं।’’ अदालत ने जेटली के प्रत्युत्तर में सामने रखे गए नए तथ्यों का जवाब देने के लिए केजरीवाल को चार सप्ताह का समय दिया।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपने लिखित बयान के जवाब में दायर जेटली के पूरे उत्तर को अस्वीकार करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने यह फैसला सुनाया।
केजरीवाल ने दावा किया था कि जेटली के प्रत्युत्तर में अतिरिक्त आरोप लगाए गए हैं जो वादपत्र का हिस्सा नहीं हैं और इसलिए मुख्यमंत्री के पास अपने लिखित जवाब में उनका खंडन करने मौका नहीं है।
केजरीवाल के खिलाफ दूसरे दीवानी मानहानि मामले में अरूण जेटली ने उन्हें पहुंची क्षति के रूप में 10 करोड़ रुपए की मांग की है। इस मामले में अदालत के नोटिस पर केजरीवाल ने अपना लिखित जवाब दायर किया था।
बाद में, जेटली से केजरीवाल के बयान पर अपना जवाब दायर करने को कहा गया था।
इस मामले में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल के तत्कालीन वकील राम जेठमलानी ने केजरीवाल एवं पांच अन्य आप नेताओं के खिलाफ दर्ज एक अन्य मानहानि मामले की कार्यवाही के दौरान जेटली के खिलाफ मानहानिकारक टिप्पणियां की थीं।